समय पर नहीं आई टैक्सी तो छूट गई फ्लाइट, अब पीड़ित ग्राहक को 54 हजार देगी कंपनी
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समय पर नहीं आई टैक्सी तो छूट गई फ्लाइट, अब पीड़ित ग्राहक को 54 हजार देगी कंपनी

भारत में भी कई ऑनलाइन टैक्सी प्रोवाइडर हैं, जो लोगों को बुकिंग पर टैक्सी घर पर मुहैया करवा देती हैं.


cab service aggregator Uber: वैसे तो ऑनलाइन सर्विस ने इंसान की मुश्किलें काफी हद तक तक कम कर दी हैं. बस कंप्यूटर या मोबाइल पर एक क्लिक से सेकेंड भर में चीजें बुक हो जाती हैं. यही सुविधा लोगों को टैक्सी के तौर पर भी मिलती है. भारत में भी कई ऑनलाइन टैक्सी प्रोवाइडर हैं, जो लोगों को ऑनलाइन बुकिंग पर टैक्सी घर पर मुहैया करवा देती हैं. लेकिन क्या हो, जब यही ऑनलाइन बुकिंग सेवा आपके जी का जंजाल बन जाए और आपको मानसिक कष्ट उठाना पड़े. ऐसा ही एक मामला कैब सर्विस एग्रीगेटर उबर के साथ देखने को मिला. जब एक व्यक्ति को उबर से टैक्सी समय पर नहीं मिल पाई और उसकी फ्लाइट छूट गई. ऐसे में पीड़ित ने जिला आयोग का दरवाजा खटखटाया और आयोग ने उबर को हर्जाना भरने का आदेश सुनाया.

वहीं, अब इसी मामले में दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जिला आयोग के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कैब सेवा एग्रीगेटर उबर को समय पर कैब उपलब्ध न कराने और इसे केवल "सेवा में कमी" के रूप में वर्गीकृत करके समस्या का समाधान न करने के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में जिला आयोग ने कंपनी को शिकायतकर्ता को मुआवज़े के रूप में ₹24,100 और मानसिक परेशानी और कानूनी लागतों के लिए ₹30,000 अतिरिक्त दंड के रूप में देने के लिए कहा था.

खराब सेवा

यह घटना नवंबर 2022 में हुई, जब शिकायतकर्ता उपेंद्र सिंह उबर द्वारा समय पर कैब उपलब्ध न कराने के कारण इंदौर की अपनी उड़ान से चूक गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि उपेंद्र सिंह ने दिल्ली हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए सुबह 3.15 बजे एक कैब बुक की थी. लेकिन न तो कैब आई और न ही कंपनी ने उनके कॉल का जवाब दिया.

देरी के कारण उपेंद्र सिंह और उनकी पत्नी को स्थानीय टैक्सी किराए पर लेनी पड़ी और सुबह 5:15 बजे एयरपोर्ट पहुंचना पड़ा, जिससे उनकी इंदौर जाने वाली फ्लाइट छूट गई. क्योंकि दिल्ली के लिए उनकी वापसी की टिकटें पहले से बुक थीं. इसलिए दंपति इंदौर में अपने परिवार के साथ 12 घंटे से भी कम समय बिता पाए.

सिंह ने उबर के साथ इस मुद्दे को आगे बढ़ाया. लेकिन कंपनी ने कभी भी उनके कॉल का जवाब नहीं दिया. 23 नवंबर. 2021 को कंपनी को उनके कानूनी नोटिस का भी इसी तरह का जवाब मिला. कंपनी के रवैये से निराश होकर सिंह ने दिल्ली जिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई.

राज्य आयोग की पीठ ने दिल्ली जिला आयोग के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि उबर ने समय पर सेवा सुनिश्चित करने में विफलता के लिए न तो सबूत दिए और न ही पर्याप्त औचित्य दिया. परिवहन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने वाले सेवा प्रदाता के रूप में, अपीलकर्ता (उबर) का दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सेवाएं बिना किसी देरी या असुविधा के प्रदान की जाएं.

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