झुकती है दुनिया... जाति जनगणना पर अब क्रेडिट लेने की लगी होड़
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'झुकती है दुनिया'... जाति जनगणना पर अब क्रेडिट लेने की लगी होड़

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जाति जनगणना के ऐलान के बाद अब क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है। क्या सत्ता पक्ष क्या विपक्ष यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं इस विषय पर सिर्फ वही संवेदनशील थे।


Caste Census Politics: देश में इस विषय यानी जाति जनगणना पर सियासत साल 2024 में भी हुई थी। सियासत 2025 में भी और उम्मीद है कि आगे भी। लेकिन साल 2024 और 2025 में थोड़ा फर्क है। इस विषय पर आम चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस (Congress) की अगुवाई वाला इंडी गठबंधन मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर था। सामाजिक न्याय (Social Justice) की बात कर वोटर्स के मन और मिजाज को टटोला और उसके बाद रणनीति बनाई। आम चुनाव के नतीजे जब सामने आए तो इंडी गठबंधन सरकार बनाने से जरूर चूकी। लेकिन 2014 के बाद पहली बार सही मायने में बीजेपी के सामने चुनौती आई। बीजेपी (BJP) अपने बलबूते 272 के जादुई आंकड़े को नहीं छू सकी और जेडीयू-टीडीपी की मदद लेनी पड़ी है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के लिए ये दोनों दल ऑक्सीजन की तरह हैं। इन सबके बीच जब पूरा देश पहलगाम आतंकी हमले के दर्द से गुजर रहा और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई चाहता है उन सबके बीच मोदी सरकार ने बुधवार को सीसीपीए यानी सुपर कैबिनेट की बैठक में जाति गणना कराने का ऐलान किया और अब क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है।

'आखिर जीत हुई'

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आखिर दबाव रंग लाया। मोदी सरकार को झुकना पड़ा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा की पीडीए के संघर्ष की जीत है। अब कांग्रेस ने एक पोस्टर जारी किया है जिस पर झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिए। पोस्टर पर हाथ में मिनी संविधान की पुस्तक लिए हुए राहुल गांधी को दिखाया गया है। कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी द्वारा लगाए गए एक पोस्टर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तस्वीर के साथ यह दावा किया गया है कि केंद्र सरकार जाति जनगणना की मांग पर झुक गई है।

पोस्टर में लिखा है “हमने कहा था, मोदी जी को जाति जनगणना करानी ही पड़ेगी। हम करवा कर रहेंगे। दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए।”राहुल गांधी ने लंबे समय से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए जाति आधारित जनगणना की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि यह कदम सकारात्मक कार्रवाई (affirmative action) के लिए आधार तैयार करेगा, जिससे सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकेगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अब जातीय आंकड़ों को पारदर्शिता के साथ जनगणना का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा “इससे देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना मजबूत होगी और जातिगत राजनीति के कारण सामाजिक ताने-बाने में कोई दरार नहीं आएगी।”

इसके तुरंत बाद, राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा “हमने कहा था, मोदी जी को जाति जनगणना करनी पड़ेगी। हम करवा कर रहेंगे। यह हमारा विज़न है और हम सुनिश्चित करेंगे कि सरकार एक पारदर्शी और प्रभावी जाति जनगणना करे। हर वर्ग को पता चले कि देश की संस्थाओं और सत्ता में किसकी कितनी भागीदारी है।”राहुल गांधी ने उन संगठनों और व्यक्तियों को भी बधाई दी जिन्होंने इस मांग को लगातार उठाया।

“झूठा श्रेय ले रही है कांग्रेस”

कांग्रेस के दावों पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार करते हुए कहा “कुछ लोग झूठा श्रेय ले रहे हैं। देश को सच्चाई जाननी चाहिए। जवाहरलाल नेहरू जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ थे। इसके बाद इंदिरा गांधी सरकार ने भी इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया।”प्रधान ने आगे कहा कि 1977 में जनता पार्टी सरकार ने मंडल आयोग का गठन किया था ताकि सामाजिक न्याय को फिर से दिशा मिल सके।

उन्होंने कहा “अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी, जो तब जनसंघ में थे, इस कदम के साथ थे। लेकिन मंडल आयोग की रिपोर्ट को रोके रखा कांग्रेस सरकार ने। जब वीपी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कीं, तब हमारी पार्टी ने उसका समर्थन किया।”

जाति जनगणना को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस में श्रेय की सियासत तेज हो गई है। एक ओर जहां कांग्रेस इसे अपने दबाव का परिणाम बता रही है, वहीं भाजपा इसे कांग्रेस की ऐतिहासिक अनदेखी और राजनीतिक पाखंड करार दे रही है। आने वाले समय में यह मुद्दा सामाजिक न्याय और सत्ता में भागीदारी के बड़े विमर्श का केंद्र बनता दिख रहा है।

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