सहनशीलता की सीमा तय, CDS अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर खोले राज
x

'सहनशीलता की सीमा तय', CDS अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर खोले राज

सीडीएस अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत अब चुप नहीं रहेगा। पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो फिर प्रहार होगा।


CDS Anil Chauhan on Operation Sindoor: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के प्रति भारत की नई लाल रेखा खींच दी है। उन्होंने कहा कि भारत की यह नई नीति दुश्मन को कुछ जरूरी सबक सिखाएगी और यह संदेश देगी कि अब भारत की सहनशीलता की एक सीमा है। सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला डायलॉग के दौरान कहा कि भारतीय फौज निर्णायक कार्रवाई करने में हर समय सक्षम है।

सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन 7 मई की सुबह उस समय शुरू किया गया जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। यह कार्यवाही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की किसी भी आक्रामकता का जवाब इसी ऑपरेशन के तहत दिया गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच यह संघर्ष चार दिन तक चला और दोनों परमाणु शक्तियों को एक व्यापक युद्ध के मुहाने तक पहुँचा दिया था। 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।CDS चौहान ने बताया कि भारत ने इस ऑपरेशन में देशी तकनीकों और अन्य देशों से मिले प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर 300 किलोमीटर तक की एयर डिफेंस को भेदते हुए सटीक हमले किए। उन्होंने इसे भारतीय सैन्य क्षमता का प्रतीक बताया।

जनरल चौहान ने कहा कि हम बीते दो दशकों से प्रॉक्सी वॉर का सामना कर रहे हैं, जिसमें हमने कई जानें गंवाईं। अब हम इसे खत्म करना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत ने आतंक के खिलाफ एक राजनीतिक रेखा खींच दी है, और उम्मीद है कि इससे दुश्मन कुछ सीखेगा। सीडीएस चौहान ने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि तालियां बजाने के लिए दोनों हाथों की ज़रूरत होती हैउम्मीद है कि वे यह बात समझेंगे।

एकीकृत थिएटर कमांड्स पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी कोई समयसीमा तय नहीं की जा सकती। लेकिन हाल के ऑपरेशन के दौरान संयुक्त योजना, खुफिया सूचना, लॉजिस्टिक्स आदि में अच्छा तालमेल देखा गया। जनरल चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्धों की प्रकृति पूरी तरह बदल रही है।सूचना, साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और संज्ञानात्मक डोमेन अब पारंपरिक युद्ध की रेखाएं धुंधली कर रहे हैं।

मानवरहित प्रणालियों, DIY किट्स और नई तकनीकों ने युद्ध को सस्ता और प्रभावी बना दिया है, जिससे बिना युद्ध की औपचारिक घोषणा के ही संघर्ष शुरू हो रहे हैं।स्वार्म ड्रोन, हाइपरसोनिक हथियार, रोबोटिक्स और मशीन बनाम मशीन युद्ध जैसे नए आयाम तेजी से विकसित हो रहे हैं।जनरल चौहान ने कहा कि भारत का ध्यान अब कल की तकनीक से आज की जंग लड़ने पर है, न कि बीती तकनीकों पर निर्भर रहने की है। इसके लिए खरीद प्रक्रिया को सरल किया जा रहा है। भारत वैश्विक शांति और सुरक्षा में अपनी भूमिका को जिम्मेदाराना तरीके से निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

(एजेंसियों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर)

Read More
Next Story