जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण, केंद्र की मंजूरी
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जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण, केंद्र की मंजूरी

भारत के मुख्य्न्याधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर देश की अलग अलग वकीलों की बार असोसिएशन से बातचीत भी की. अब देखना ये होगा कि जाँच में क्या सामने आता है.


Justice Yashwant Varma Transfer : केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले को मंजूरी दे दी, जिसके तहत दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा। जस्टिस वर्मा इस समय कथित नकदी घोटाले से जुड़े विवादों के केंद्र में हैं।


स्थानांतरण की पुष्टि और कानूनी प्रक्रिया

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने दिल्ली, गुजरात, केरल, कर्नाटक, लखनऊ और प्रयागराज के बार एसोसिएशन प्रमुखों से मुलाकात की थी। केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 222(1) के तहत राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह स्थानांतरण किया। केंद्रीय विधि मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा,

"राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने और उन्हें वहां कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश देने की स्वीकृति प्रदान करते हैं।"


स्थानांतरण का विरोध और विवाद

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने इस स्थानांतरण का विरोध किया है, क्योंकि उनका मानना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को "डंपिंग ग्राउंड" के रूप में देखा जा रहा है।

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण कथित नकदी घोटाले की जांच से असंबंधित है। हालांकि, विवाद तब और गहरा गया जब उनके बंगले के एक ढांचे में आग लगने से भारी मात्रा में नकदी जलकर नष्ट होने की खबर सामने आई।


जस्टिस वर्मा की सफाई

इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस वर्मा ने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने CJI खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति को दिए अपने जवाब में कहा,

"एक न्यायाधीश के जीवन में प्रतिष्ठा और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। मेरा नाम गंभीर रूप से कलंकित और अपूरणीय रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है। मेरे खिलाफ लगाए गए निराधार आरोप केवल अटकलों और अप्रमाणित धारणाओं पर आधारित हैं कि कथित रूप से देखी और जब्त की गई नकदी मेरी थी।"


मुकुल रोहतगी की प्रतिक्रिया

इस स्थानांतरण के सबसे मुखर आलोचकों में से एक पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी हैं, जिन्होंने इस मामले की गहन जांच की मांग की है।

NDTV को दिए एक साक्षात्कार में रोहतगी ने कहा,

"यह मामला कोई सीधा-साधा मामला नहीं लगता। मुझे कभी समझ नहीं आया कि यह स्थानांतरण नकदी घोटाले से असंबंधित कैसे हो सकता है। मेरे अनुसार, यह स्थानांतरण नकदी घोटाले के कारण ही प्रस्तावित किया गया है... इस मामले में अभी कई सवाल अनसुलझे हैं। इसलिए यह कहना कि स्थानांतरण घोटाले से संबंधित नहीं है, कोई बड़ी बात नहीं है। वास्तव में, सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से मैं स्तब्ध हूं।"

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्थानांतरण को घोटाले से जोड़ने से इनकार किया है, लेकिन यह मामला अभी भी चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है।


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