UPS: क्या BJP को मिलेगा योजना का फायदा? कांग्रेस ने चुनावों में OPS को बनाया था बड़ा मुद्दा
केंद्र सरकार ने पेंशन प्रणाली में बदलाव करते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा?
Unified Pension Scheme: केंद्र सरकार ने पेंशन प्रणाली में बदलाव करते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है. केंद्रीय कैबिनेट ने इस स्कीम को शनिवार को मंजूरी भी दे दी है. इस योजना के तहत न्यूनतम 25 साल काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के पहले के अंतिम 12 महीने के औसत वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा. केंद्र सरकार ने इस स्कीम की घोषणा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले किया है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा.
यूपीएस की घोषणा करने के बाद बीजेपी सरकारी कर्मचारियों से राजनीतिक लाभ की उम्मीद कर रही है, जिनमें से एक वर्ग कांग्रेस के पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी के वादे से प्रभावित हुआ था. सरकारी कैडर, विशेष रूप से दिल्ली में जहां फरवरी में चुनाव होने वाले हैं, भाजपा के लिए वोट बैंक रहे हैं. लेकिन हाल के विधानसभा चुनावों में OPS की बहाली की मांग का इस्तेमाल भाजपा को हराने के लिए एक राजनीतिक छड़ी के रूप में किया गया था. यह हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए काम करता हुआ देखा गया था, जहां सरकारी कर्मचारियों का पारंपरिक रूप से प्रभाव रहा है.
हालांकि, पार्टी मध्य प्रदेश में किसी भी नुकसान से बच गई. क्योंकि इसने राज्य में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में व्यापक रूप से जीत हासिल की. हालांकि, यह लोकसभा चुनावों में उतना बड़ा मुद्दा नहीं था. लेकिन मुखर सरकारी कर्मचारियों के एक वर्ग की नाखुशी स्पष्ट थी. करीब 18 महीने की मेहनत के बाद एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को लागू करने का फैसला हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है, जिसके लिए तारीखों की घोषणा पहले ही कर दी गई है. वहीं, महाराष्ट्र और झारखंड में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
हालांकि, कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में OPS की जोरदार वकालत की थी. लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी हार के बाद वह OPS पर चुप रही और उसने लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में भी इसका जिक्र नहीं किया. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने योजना पर कैबिनेट के फैसले के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कैसे कांग्रेस ने हिमाचल और राजस्थान में इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया. लेकिन पार्टी ने कभी भी इन राज्यों में OPS को लागू नहीं किया, जिससे यह "एक भ्रम" बन गया.
वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रही है, जो हिमाचल और राजस्थान में झलकता है. पार्टी ने दोनों राज्यों में वादे किए. लेकिन OPS को लागू करने में विफल रही. भ्रम पैदा करने की उनकी राजनीति एक बार फिर उजागर हुई. दूसरी ओर, यूपीएस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक सुविचारित योजना है. क्योंकि यह पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्तपोषित है और अंतर-पीढ़ी समानता का वादा करती है. इसके अलावा, वर्तमान जरूरत के आधार पर धन उपलब्ध कराया जाएगा. भविष्य के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा जाएगा. जैसा कि कांग्रेस ने हिमाचल और राजस्थान में किया था. उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि यह एक राजनीतिक निर्णय था.