
सिंधु जल संधि निलंबन के बाद भारत ने चिनाब नदी पर दुलहस्ती-2 जलविद्युत परियोजना को दी मंजूरी
इस महीने की शुरुआत में हुई अपनी 45वीं बैठक में जलविद्युत परियोजनाओं पर विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी, जिससे रन-ऑफ-द-रिवर प्रकार की इस परियोजना के लिए निर्माण निविदाएँ जारी करने का रास्ता साफ हो गया। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3,200 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निलंबित की गई सिंधु जल संधि के बाद भारत ने पाकिस्तान को एक और झटका दिया है। पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर दुलहस्ती-2 जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दे दी। बिजली उत्पादन की दृष्टि से अहम इस फैसले को रणनीतिक रूप से पड़ोसी के लिए कड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
जलविद्युत परियोजनाओं के लिए बनी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने इस महीने की शुरुआत में इस परियोजना को स्वीकृति दी। इससे 3,200 करोड़ रुपये की लागत वाली रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना के लिए निर्माण निविदाएं जारी करने का रास्ता साफ हो गया है।
रन ऑफ द रिवर से तात्पर्य ऐसी परियोजना से है, जिसमें नदियों के जल प्रवाह में बिना बाधा डाले जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इसमें नदी के मार्ग में बिना बड़े बांध बनाए प्रवाहित जल का उपयोग किया जाता है। दुलहस्ती चरण-दो मौजूदा 390 मेगावाट की दुलहस्ती चरण-एक परियोजना का विस्तार है। इस नए प्लांट से लगभग 258 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है।
ईएसी ने परियोजना के मापदंड 1960 की सिंधु जल संधि के प्रावधानों के अनुरूप ही तय किए। हालांकि, समिति ने यह भी दर्ज किया कि सिंधु जल संधि 23 अप्रैल 2025 से प्रभावी रूप से निलंबित है।
पाकिस्तान लंबे समय से चेनाब नदी पर भारत की किसी भी सक्रियता का विरोध करता रहा है। 1960 की सिंधु जल संधि के तहत चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों के पानी पर पाकिस्तान का मुख्य अधिकार माना जाता है, लेकिन भारत के पास इन नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना बनाने का पूरा कानूनी अधिकार है।
दुलहस्ती-2 को मंजूरी मिलने से साफ है कि भारत अब पाकिस्तान की आपत्तियों की परवाह किए बिना अपनी सीमाओं के भीतर जल संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। चेनाब का पानी पाकिस्तान की कृषि के लिए जीवनदायनी है। भारत की ओर से ऊपरी हिस्से में बुनियादी ढांचा मजबूत करने से पाकिस्तान को डर है कि भविष्य में किसी तनाव की स्थिति में भारत पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता हासिल कर लेगा। सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद केंद्र सरकार सिंधु बेसिन में कई जलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है, जिनमें सावलकोट, रततले, बरसर, पाकल दुल, क्वार, किरू और कीर्थई चरण एक में हैं।

