
ठिगने और 'अंडरवेट' क्यों हो रहे हैं बच्चे? सरकारी रिपोर्ट ने चौंकाया
देश में 0 से 6 साल के बीच की उम्र के बच्चे बड़ी तादाद में कमजोर, ठिगने और अंडरवेट पाए गए हैं। इसका खुलासा खुद सरकार की संसद में पेश एक रिपोर्ट में हुआ है।
प्राय: आम भारतीय परिवारों में आपको यह सुनने को मिलेगा कि उनका बच्चा खाना नहीं खाता। लेकिन यह समस्या इससे बड़ी है। संसद में पेश की गई एक सरकारी रिपोर्ट तो इस समस्या की गंभीरता की ओर इशारा कर रही है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक लिखित सवाल के जवाब में राज्य सभा में जो आंकड़े रखे, वो बेहद चौंकाने वाले हैं।
सरकार ने संसद में मोबाइल आधारित पोषण निगरानी प्रणाली 'पोषण ट्रैकर' के निष्कर्षों को साझा किया है। राज्य सभा में सरकार ने बताया कि फरवरी महीने तक देशभर की आंगनबाड़ियों में 8.8 लाख बच्चों का नामांकन है।
इन बच्चों का शारीरिक विकास कितना हो पाया है, जब इसकी शुरुआती नतीजे सामने आए तो वो बेहद हैरान करने वाले थे। इसके लिए आंगनबाड़ियों में 8.5 लाख बच्चों का वजन मापा गया और लंबाई नापी गई।
इससे यह निष्कर्ष निकला कि 0-6 आयुवर्ग के 37.7 % बच्चे ठिगने या बौने पाए गए जबकि 17.1% बच्चों का वजन मानक से कम पाया गया यानी वो अंडरवेट पाए गए।
हालांकि सरकार ने संसद में ये भी बताया कि पूरे देशभर में बच्चों में कुपोषण की समस्या में सुधार हुआ है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के डेटा में भी देश में बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या की तरफ इशारा किया गया था। सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, शून्य से पांच साल तक के 35.5% बच्चों की ग्रोथ में समस्या पाई गई है। यानी उनमें ठिगनापन पाया गया है।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देश के 32.1% बच्चों का वजह तय मानक से कम पाया गया है यानी वोअंडरवेट पाए गए हैं।
हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुकाबले पोषण ट्रैकर सिस्टम हर महीने लगभग 8.5 करोड़ बच्चों को मिल रहे पोषण की निगरानी कर रहा है।