
दलाई लामा पर चीन की दादागिरी नाकाम, भारत ने दिया दो-टूक जवाब
Dalai Lama Succession: वर्ष 2011 में दलाई लामा ने घोषणा की थी कि वे अपने 90वें जन्मदिन पर यह निर्णय लेंगे कि उनके बाद यह पद जारी रहेगा या नहीं.
Dalai Lama के 90वें जन्मदिन के मौके पर एक बार फिर भू-राजनीति की जंग छिड़ गई है. चीन ने दावा किया कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का अधिकार रखता है. लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. भारत का साफ संदेश है कि धर्म और आस्था के मामलों में बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साल 1959 में जब 23 वर्षीय दलाई लामा ल्हासा से भागकर भारत आए थे, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि उनके पुनर्जन्म पर भी राजनीतिक टकराव होगा. आज, चीन की दखलंदाज़ी को भारत ने स्पष्ट रूप से नकारते हुए कहा है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म का निर्णय केवल उनके खुद और स्थापित धार्मिक संस्थानों का अधिकार होगा, न कि किसी सरकार का.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और परिभाषित संस्थान हैं. उनके उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार किसी और को नहीं है. यह निर्णय सिर्फ उन्हीं और परंपरागत धार्मिक परंपराओं के अनुसार लिया जाएगा. रिजिजू को भारत सरकार की ओर से 6 जुलाई को धर्मशाला में होने वाले 90वें जन्मदिन समारोह में भाग लेने के लिए भेजा गया है.
क्या बोले दलाई लामा
90 वर्ष के होने जा रहे दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने हाल ही में कहा कि तिब्बती बौद्धों का 600 साल पुराना पुनर्जन्म प्रणाली वाला पद जारी रहेगा. लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि चीन की कोई भूमिका उनके उत्तराधिकारी के चयन में नहीं होगी. उन्होंने वर्ष 2015 में बनाए गए गदेन फोड्रांग ट्रस्ट को अपने पुनर्जन्म की पहचान करने का एकमात्र वैध प्राधिकरण बताया. दलाई लामान ने कहा कि मैं दोहराता हूं कि भविष्य में मेरे पुनर्जन्म की पहचान करने का पूरा अधिकार गदेन फोड्रांग ट्रस्ट को है. किसी और को इस विषय में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है.
इस बयान के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और दलाई लामा की उत्तराधिकारी योजना को खारिज कर दिया. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य प्रमुख बौद्ध नेताओं का पुनर्जन्म गोल्डन अर्न से लॉटरी निकालकर और केंद्रीय सरकार की स्वीकृति से ही होगा.
इतिहास और विवाद
दलाई लामा 1959 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने के बाद मात्र 23 वर्ष की उम्र में ल्हासा से भागकर भारत आए थे. तब से वे भारत में शरण लिए हुए हैं और तिब्बती निर्वासित सरकार के आध्यात्मिक प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे हैं. चीन उन्हें सेपरेटिस्ट घोषित करता रहा है.
90वें जन्मदिवस पर क्या हो सकता है निर्णय
वर्ष 2011 में दलाई लामा ने घोषणा की थी कि वे अपने 90वें जन्मदिन पर यह निर्णय लेंगे कि उनके बाद यह पद जारी रहेगा या नहीं. अब जबकि यह अवसर आ गया है, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि परंपरागत पुनर्जन्म प्रणाली जारी रहेगी और यह निर्णय उनका व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकार है.