बांग्लादेश की घटनाएं हमें स्वतंत्रता के मूल्य की याद दिलाती हैं: CJI चंद्रचूड़
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बांग्लादेश की घटनाएं हमें स्वतंत्रता के मूल्य की याद दिलाती हैं: CJI चंद्रचूड़

स्वतंत्रता और आजादी के महत्व पर जोर देते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाएं इन अधिकारों के मूल्य की याद दिलाती हैं.


CJI DY Chandrachud: स्वतंत्रता और आजादी के महत्व पर जोर देते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाएं इन अधिकारों के मूल्य की याद दिलाती हैं. सुप्रीम कोर्ट परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस हमें देश के लोगों के एक-दूसरे के प्रति और संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने के राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों की याद दिलाता है.

उन्होंने कहा कि आज बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह स्पष्ट रूप से याद दिलाता है कि हमारे लिए स्वतंत्रता कितनी मूल्यवान है. स्वतंत्रता और आजादी को हल्के में लेना बहुत आसान है. लेकिन अतीत की कहानियों को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि हमें याद रहे कि ये चीजें कितनी महत्वपूर्ण हैं.

बता दें कि प्रधान न्यायाधीश की यह टिप्पणी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की व्यापक घटनाओं को लेकर भारत में बढ़ती चिंताओं के बीच आई है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को कई सप्ताह तक चले हिंसक उपद्रव के बाद इस्तीफा दे दिया था और वहां से भाग गई थीं.

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि कई वकीलों ने अपना कानूनी पेशा छोड़ दिया और राष्ट्र के लिए खुद को समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं आप सभी को, हमारे पत्रकार साथियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. आपके माध्यम से मैं पूरे देश को, विशेषकर कानून से जुड़े लोगों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह दिन हमें एक-दूसरे के प्रति और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाने का दिन है. न्यायालयों का कार्य आम भारतीयों के दैनिक जीवन की कठिनाइयों से जूझने के संघर्ष को प्रतिबिंबित करता है. आधुनिक न्यायपालिका के लिए सुलभ और समावेशी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है.

इस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे और उन्होंने कहा कि सीजेआई ने कुछ दिन पहले कहा था कि संविधान सबसे ऊपर है. अगर इसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा आत्मसात कर लिया जाए तो भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के शब्दों को याद करते हुए कहा कि यही वह स्वतंत्रता है, जिसका देश आनंद लेता है. 15 अगस्त को उन्होंने कहा कि मैं भारत के लोगों का पहला सेवक हूं. यही वह भावना है, जिसके तहत हम अपनी आजादी को कायम रखना चाहते हैं. हमें आजाद होना चाहिए, समानता चाहिए और गरीबी से मुक्ति चाहिए.

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