151 MG सीमन थ्योरी पर नाराज हुए CJI, कहा- सोशल मीडिया की बातों का कोर्ट में न दें तर्क
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151 MG सीमन थ्योरी पर नाराज हुए CJI, कहा- सोशल मीडिया की बातों का कोर्ट में न दें तर्क

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 31 वर्षीय ट्रेनी महिला डॉक्टर के शरीर में 151 मिलीग्राम सीमन की मौजूदगी से संबंधित दलीलों को खारिज कर दिया.


Supreme Court Hearing on Kolkata Case: भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को 31 वर्षीय ट्रेनी महिला डॉक्टर के शरीर में 151 मिलीग्राम सीमन की मौजूदगी से संबंधित दलीलों को खारिज कर दिया. बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ स्नातकोत्तर डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या से संबंधित एक स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान वकीलों में से एक ने कहा कि लॉर्डशिप, (ऐसा कहा जाता है) पीएमआर (पोस्टमार्टम रिपोर्ट) में 151 मिलीग्राम वीर्य की बात की गई है, यह एमएल में है. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया कि इसमें भ्रमित न हों. कोर्ट में तर्क देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करें. हमारे पास अब विशेष रूप से पोस्टमार्टम रिपोर्ट है. हम जानते हैं कि 151 का क्या मतलब है. हम मीडिया पर जो पढ़ते हैं, उसका उपयोग न करें और उस आधार पर कानूनी तर्क न दें.

बता दें कि कई सोशल मीडिया पोस्ट और कुछ मीडिया रिपोर्ट में पहले दावा किया गया था कि पीड़िता के शरीर में 150 मिलीग्राम सीमन पाया गया था. कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने लोगों से ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बारे में अफवाहों और कथाओं को नज़रअंदाज़ करने का आग्रह किया था. उन्होंने सीबीआई पर भरोसा करने के महत्व पर जोर दिया, जो वर्तमान में जांच कर रही है. उनकी टिप्पणी मामले के बारे में विभिन्न अटकलों के बीच आई है, जिसमें झूठे दावे भी शामिल हैं कि पुलिस ने पीड़िता के परिवार को आत्महत्या की सूचना दी थी और उसके शरीर में 150 मिलीग्राम सीमन पाया गया था.

उन्होंने पीड़िता के परिवार को यह सूचित करने से स्पष्ट रूप से इनकार किया कि उसने आत्महत्या की है और उसके शरीर में सीमन पाए जाने की अफवाह का खंडन किया. उन्होंने कहा कि अब भी अफवाह क्यों फैलाई जा रही है? यह गलत है कि हमने पीड़िता के परिवार को सूचित किया कि उसने आत्महत्या की है. यह गलत है कि उसके शरीर में 150 मिलीग्राम सीमन पाया गया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी पीड़िता के परिवार को यह सूचित करने से इनकार किया कि उसने आत्महत्या की है और उसके शरीर में सीमन पाए जाने की अफवाह का खंडन किया.

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से कहा- काम पर लौटे

पीठ ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने को भी कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके वापस आने के बाद कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी. पुलिस द्वारा की गई कानूनी औपचारिकताओं के क्रम और समय पर सवाल उठाते हुए डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि मृतक का पोस्टमार्टम 9 अगस्त को शाम 6.10 बजे से 7.10 बजे के बीच किया गया. जबकि मामला अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज किया गया था. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम 9 अगस्त को शाम 6.10 बजे किया गया और फिर भी अप्राकृतिक मौत की सूचना ताला पुलिस स्टेशन को 9 अगस्त को रात 11.30 बजे भेजी गई. यह बेहद परेशान करने वाली बात है.

पीठ ने कोलकाता पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया कि जिसने देश को झकझोर देने वाले बलात्कार-हत्या के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज की. ताकि अगली सुनवाई में पेश होकर प्रविष्टि का समय बताया जा सके. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पोस्टग्रेजुएट मेडिक के अंतिम संस्कार के बाद रात 11.45 बजे एफआईआर दर्ज की गई. मेहता ने पीठ को बताया कि राज्य पुलिस ने माता-पिता से कहा कि यह आत्महत्या है, फिर उन्होंने कहा कि यह हत्या है. पीड़िता के दोस्त ने मामले को छिपाने की आशंका जताई और वीडियोग्राफी पर जोर दिया.

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