इसी तस्वीर पर मचा था बवाल, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कही बड़ी बात
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इसी तस्वीर पर मचा था बवाल, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कही बड़ी बात

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अब कुछ दिनों में रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने पीएन या सीएम के साथ जजों की मुलाकात पर अपने नजरिए को पेश किया है।


DY Chandrachud Picture Controversy: भारत में तस्वीरों को लेकर विवाद नई बात नहीं है। राजनीतिक दल अपने मकसद को पूरा करने के लिए तस्वीरों का इस्तेमाल करते हैं। बात बहुत पुरानी नहीं है। गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा था। एक तस्वीर सामने आई जिसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और पीएम नरेंद्र मोदी( Narendra Modi Ganesh Chaturthi ) एक साथ नजर आ रहे थे। कांग्रेस ने सफाई के साथ आपत्ति दर्ज करायी। मसलन सीजेआई के घर पर पीएम का जाना ठीक नहीं उसके पीछे कुछ मकसद हो सकता है। इसके साथ चुनावी तौर पर नुकसान ना हो तो पूजा पाठ को व्यक्तिगत मामला बताया। यानी कि आलोचना और उससे नुकसान ना हो दोनों को ध्यान में रखकर बयान जारी किया गया। बता दें जिस समय तस्वीर आई थी उस वक्त हरियाणा(Haryana Assembly Elections 2024) का चुनाव होने वाला था। अब इस मामले में खुद चीफ जस्टिस ने अपने दिल की बात कही है।

'विवाद का मतलब नहीं था'
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गणपति पूजा के लिए प्रधानमंत्री के उनके आवास पर आए। उसे लेकर जिस तरह से विवाद किया गया वो अनावश्यक, अनुचित और अतार्किक था। राजनीति और कार्यपालिका के प्रमुख सामाजिक अवसरों पर न्यायाधीशों के घर जाते हैं। लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता(Supreme Court Of India) इतनी गहराई तक समाई हुई है कि न्यायिक मामलों पर कभी चर्चा नहीं की जाती। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बच्चों की शादी या उत्सव जैसे सामाजिक अवसरों पर मुख्य न्यायाधीश,उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों के आवासों पर जाते हैं, लेकिन कम से कम उन्हें एक भी अवसर याद नहीं आता जब मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कभी भी संघ या राज्यों के कार्यकारी प्रमुखों के साथ किसी न्यायिक मामले पर चर्चा की हो। शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के अलावा, किसी अन्य मामले पर चर्चा नहीं की जाती है।

सख्त प्रोटोकॉल

संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीशों और कार्यपालिका के प्रमुखों में इतनी परिपक्वता है कि वे न्यायिक मामलों को किसी भी चर्चा के दायरे से बाहर रखते हैं। प्रोटोकॉल इतना सख्त है कि न्यायिक मामलों पर कभी भी राजनीतिक कार्यपालिका के प्रमुखों के साथ चर्चा नहीं की जाती है। हम लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में अपने कर्तव्यों को जानते हैं और राजनीतिक कार्यपालिका अपने कर्तव्यों को जानती है। कोई भी न्यायाधीश, खासकर सीजेआई या सीजे, न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह के वास्तविक या कथित खतरे को दूर से भी आमंत्रित नहीं कर सकता है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब भी सीजेआई या सीजे केंद्र या राज्य सरकारों के प्रमुखों से मिलते हैं, तो चर्चा न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता के इर्द-गिर्द केंद्रित होती है, जिसके पास मामलों का एक बड़ा बैकलॉग है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के सीजे या सीजेआई (High Court Chief Justice)के शपथ लेने के बाद, उनके और राजनीतिक कार्यपालिका के प्रमुख के बीच एक औपचारिक बैठक होती है, जो न्यायिक बुनियादी ढांचे, मुद्दों और धन के आवंटन और संबंधित प्रशासनिक मुद्दों की कमियों को दूर करने पर केंद्रित होती है।

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