CJI डीवाई चंद्रचूड़ नहीं बनते जज! अगर जस्टिस सभरवाल नहीं होते, जानें क्या था वह किस्सा
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ नहीं बनते जज! अगर जस्टिस सभरवाल नहीं होते, जानें क्या था वह किस्सा

सीजेआई चंद्रचूड़ का न्यायिक करियर कई फैसलों और सुधारों को लेकर याद किया जाएगा. लेकिन एक समय ऐसा आया था कि वह जज ही नहीं बनना चाहते थे.


CJI DY Chandrachud: भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ रिटायर हो चुके हैं. शुक्रवार को उनका लास्ट वर्किंग डे था. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के सबसे बड़े कोर्ट रूम में उनका विदाई समारोह रखा गया था. सीजेआई चंद्रचूड़ का न्यायिक करियर कई फैसलों और सुधारों को लेकर याद किया जाएगा. लेकिन अगर बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वाई के सभरवाल नहीं होते तो आज डीवाई चंद्रचूड़ भारत के मुख्य न्यायाधीश नहीं होते. क्योंकि जस्टिस सभरवाल ने उनको हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अपनी सहमति वापस लेने से रोका था.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायाधीश के रूप में उनके नाम की सिफारिश में देरी कर दी थी. इससे नाराज सीनियर एडवोकेट डीवाई चंद्रचूड़ सीजे सभरवाल के कक्ष में चले गए और कहा कि वह अपना नाम वापस लेना चाहते हैं. जस्टिस सभरवाल आगे चलकर मुख्य न्यायाधीश बने. उन्होंने चंद्रचूड़ को एक हफ्ता वेट करने को कहा. इसके बाद डीवाई चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए. जब उन्होंने हाई कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली तो वह काफी जवान लग रहे थे. हालांकि, सीनियर वकीलों के तौर पर वह काफी जवान लगते थे. इसलिए कई वकील उनसे जलते भी थे. वह उनसे बार-बार पूछते थे कि वह अपनी मुस्कान बनाए रखने के लिए रोजाना जो 'अमृत' पीते हैं, उसका रहस्य क्या है?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीवाई चंद्रचूड़ अनुशासित जीवन और नियमित योग ही इसका रहस्य है. अपनी पत्नी, बेटियों और कोर्ट रूम में वकीलों की भीड़ की मौजूदगी में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि हम तीर्थयात्री या फिर यात्रा के पक्षी हैं. न्यायाधीश आते हैं और जाते हैं. मेरे जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मैं कोर्ट को जस्टिस खन्ना के कुशल हाथों में सौंप रहा हूं.

वहीं, मनोनीत सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि उनके लिए जस्टिस चंद्रचूड़ की बराबरी करना मुश्किल होगा. उन्होंने सीजेआई द्वारा वर्षों से लंबित 9-जे बेंच और बड़ी बेंच के मामलों को निपटाने और साथ ही न्यायिक सुधारों को आगे बढ़ाने के मामले में किए गए शानदार काम को स्वीकार किया. साथ ही न्यायालयों तक पहुंच को आसान बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनके कई फैसले सरकार के खिलाफ गए. लेकिन एक वकील के तौर पर उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि उनकी बात को ठीक से नहीं सुना गया या उनके दृष्टिकोण को न्यायनिर्णयन में उचित महत्व नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपने 52 साल के प्रैक्टिस में, उन्होंने सीजेआई चंद्रचूड़ से बेहतर न्यायाधीश कभी नहीं देखा और घोषणा की कि उनके जैसा कोई कभी नहीं होगा, जिसका मतलब है कि उन्होंने अपने पिता वाईवी चंद्रचूड़ के कद को पार कर लिया है, जो 1978 से 1985 तक साढ़े सात साल तक सीजेआई थे. वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी और मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे सीजेआई के न्यायालय कक्ष को सभी के लिए आराम की जगह बनाने के उनके अथक प्रयासों के प्रशंसक हैं.

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