आवारा कुत्तों के अधिकारों पर फिर खुली अदालत में बहस, CJI बोले- मामला देखेंगे
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आवारा कुत्तों के अधिकारों पर फिर खुली अदालत में बहस, CJI बोले- मामला देखेंगे

CJI बी. आर. गवई ने आवारा कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण याचिका पर कहा कि वो मामले को देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर समाज में राय बंटी हुई है।


Stray Dog Issue: मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने कहा कि वे आवारा कुत्तों से जुड़े मुद्दे पर गौर करेंगे। यह टिप्पणी उस समय आई जब उनकी बेंच के सामने इन कुत्तों की नियमित नसबंदी और टीकाकरण के लिए दायर एक याचिका का उल्लेख किया गया।इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर पकड़ा जाए और संबंधित प्राधिकरणों द्वारा बनाए जाने वाले शेल्टरों में रखा जाए।

मिलीजुली प्रतिक्रिया

इस आदेश पर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ लोगों ने इसे लंबे समय से जरूरी कदम बताते हुए स्वागत किया, जबकि कुछ ने इसे तर्कहीन बताते हुए आलोचना की और चेतावनी दी कि इससे इंसान और कुत्तों के बीच टकराव बढ़ सकता है।

पुराने आदेश की याद दिलाई गई

मुख्य न्यायाधीश के समक्ष बुधवार सुबह यह मुद्दा फिर रखा गया। साथ ही, अदालत के उस पुराने आदेश का भी जिक्र किया गया जिसमें आवारा कुत्तों को स्थानांतरित करने या मारने पर रोक लगाई गई थी और उनके साथ व्यवहार को लेकर मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया था।

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं को उम्मीद

शीर्ष अदालत के हालिया आदेश का विरोध कर रहे पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए मुख्य न्यायाधीश की प्रतिक्रिया राहतभरी रही। उन्होंने कहा, मैं इस पर गौर करूंगा। वकील ने जिस उदाहरण का ज़िक्र किया, वह न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की पीठ द्वारा मई 2024 में दिए गए एक आदेश का है, जिसने उच्च न्यायालयों को इसी तरह की याचिकाएx भेजी थीं और कहा था कि सभी जीवों के प्रति करुणा प्रदर्शित करना एक संवैधानिक मूल्य है।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों पर समाचार रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए पारित किया। पीठ ने कहा था कि हमें कुत्तों से मुक्त इलाके को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा, और इसी तरह बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित महसूस करेंगे।

पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि कुत्ते प्रेमियों या किसी अन्य पक्ष की किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, हम यह अपने लिए नहीं कर रहे हैं। यह जनहित के लिए है। इसलिए, किसी भी प्रकार की भावनाओं को आहत नहीं किया जाना चाहिए। जल्द से जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस आदेश के बाद राजनेताओं और मशहूर हस्तियों सहित नागरिक समाज में तीखी प्रतिक्रिया हुई। अभिनेता जॉन अब्राहम ने सोमवार के आदेश की समीक्षा के लिए मुख्य न्यायाधीश को एक तत्काल अपील भेजी। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, जो एक पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, ने शीर्ष अदालत के निर्देश को अव्यावहारिक, आर्थिक रूप से अव्यवहारिक और क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन के लिए संभावित रूप से हानिकारक बताया।

देश में पशु अधिकारों की अग्रणी आवाज़, पेटा ने भी इस पर अपनी राय दी। पेटा के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने चेतावनी दी कि इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन अवैज्ञानिक और अप्रभावी दोनों है। कुत्तों का विस्थापन और उन्हें जेल में डालना वैज्ञानिक नहीं है और कभी कारगर नहीं रहा है। इससे कुत्तों की आबादी पर अंकुश लगाने, रेबीज को कम करने या कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी।

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