Sardar Vallabhbhai Patel Memorial Ahmedabad
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अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक पर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ। फोटो: @INCIndia/X

देर से सही सरदार पटेल पर कांग्रेस ने दावा ठोका, बीजेपी को सुनाई खरी खरी

कांग्रेस ने पीएम मोदी,गृह मंत्री शाह को यह संकेत देने के लिए गांधी और पटेल पर ध्यान केंद्रित रखा है कि वह उनके गृह राज्य गुजरात में मुकाबले के लिए तैयार है।


देर से ही सही, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने आखिरकार भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महानायक सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत पर आक्रामक ढंग से पुनः दावा ठोक दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो गुजरात (सरदार पटेल का गृह राज्य) के मुख्यमंत्री रहते हुए और उसके बाद भी लगातार सरदार पटेल की विरासत को भाजपा से जोड़ते आए हैं, को अब कांग्रेस की तरफ से कड़ी चुनौती मिली है।

"हमारे सरदार" प्रस्ताव

अहमदाबाद में चल रहे दो दिवसीय एआईसीसी अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस ने एक विशेष प्रस्ताव पारित किया, जिसका शीर्षक था "हमारे सरदार"। इस प्रस्ताव में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया गया कि भाजपा की राजनीति और विचारधारा, सरदार पटेल की मूल सोच और सामाजिक मूल्यों के पूरी तरह विपरीत है।

मंगलवार (8 अप्रैल) को सरदार पटेल मेमोरियल में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की विस्तारित बैठक में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। इसमें भाजपा द्वारा सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच टकराव की झूठी कहानी फैलाने के प्रयासों की आलोचना करते हुए कहा गया कि इससे उनकी दोस्ती और आपसी समझ को कमजोर करने की कोशिश की गई है।

"भाजपा सरदार को नहीं, ब्रिटिश नीतियों को अपनाती है"

प्रस्ताव में सरदार पटेल के जीवन की घटनाओं के माध्यम से यह बताया गया कि मोदी सरकार की नीतियाँ सरदार पटेल के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं, चाहे वह किसानों से जुड़े मुद्दे हों या सामाजिक एकता।

“महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर, सरदार पटेल ने 1918 में खेड़ा (गुजरात) में ब्रिटिश टैक्स वसूली के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके बाद 1928 में उन्होंने 'बारडोली सत्याग्रह' चलाया।”वहीं भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए प्रस्ताव कहता है:“आज की भाजपा सरकार उन्हीं ब्रिटिश नीतियों की नकल करती है — भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे के अधिकार को कमजोर करना, किसान विरोधी काले कानून लाना, सड़कों पर कीलें और खाई खुदवाकर किसानों को रोकना, और एमएसपी की गारंटी पर वादा तोड़ना... यहां तक कि लखीमपुर खीरी में किसानों को जीप से कुचल देना।”

"भाजपा देश की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है"

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि पटेल और नेहरू ने मिलकर 560 रियासतों को जोड़कर भारत गणराज्य की नींव रखी, जबकि भाजपा क्षेत्रवाद, भाषा, और संस्कृति के आधार पर देश को बांटने का काम कर रही है।

साथ ही प्रस्ताव में भाजपा और आरएसएस को याद दिलाया गया कि:“सरदार पटेल ने 4 फरवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था।”आज, जब धार्मिक ध्रुवीकरण देश को नफरत की खाई में धकेल रहा है, कांग्रेस ने सरदार पटेल के ‘लौह पुरुष’ रूप की दृढ़ता को अपनाने का संकल्प लिया है।

गांधी और सरदार पर विशेष ध्यान

इस अधिवेशन में कांग्रेस ने गांधी और पटेल को केंद्र में रखकर भाजपा पर हमला बोला है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा अक्सर कांग्रेस पर नेहरू को बढ़ावा देने के लिए अन्य नेताओं की विरासत को नजरअंदाज करने का आरोप लगाती रही है।

अहमदाबाद में हो रहा यह अधिवेशन, 1961 के बाद पहली बार गुजरात में आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य सिर्फ आत्मनिरीक्षण नहीं बल्कि यह भी संदेश देना है कि कांग्रेस अब प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को उनके गृह राज्य में चुनौती देने के लिए तैयार है।

गुजरात के लिए विशेष प्रस्ताव

कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि 9 अप्रैल को एआईसीसी अधिवेशन में गुजरात के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इसमें गांधी और पटेल की विचारधारा को पुनः स्थापित करने के साथ-साथ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आगामी विधानसभा चुनावों में पूरी ताकत से उतरने की अपील की जाएगी।

संगठनात्मक बदलाव की तैयारी

कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी एक बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी में है। वहीं, सीडब्ल्यूसी सदस्य सचिन पायलट ने संकेत दिया कि कांग्रेस जल्द ही जिला स्तर पर अधिक अधिकार संपन्न इकाइयाँ बना सकती है।

राहुल गांधी भी लगातार पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए सक्रिय हैं, और वे चाहते हैं कि जिला कांग्रेस अध्यक्षों की भूमिका और ताकत को बढ़ाया जाए।

उदयपुर नव संकल्प से अब तक लंबित वादे

2022 में हुए उदयपुर नव संकल्प अधिवेशन में जो वादे किए गए थे — जैसे चुनावी रणनीति के लिए अलग विभाग, जमीनी फीडबैक सिस्टम — उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, यह मुद्दे एक बार फिर 8 अप्रैल की CWC बैठक में उठाए गए, लेकिन उनके क्रियान्वयन की कोई निश्चित समय-सीमा तय नहीं की गई।

विपक्षी एकता पर भी नजर

9 अप्रैल को अधिवेशन का समापन होगा, जिसमें कांग्रेस अपने पुनरुत्थान की रणनीति स्पष्ट करेगी और बिखरते हुए इंडिया गठबंधन (INDIA bloc) में विपक्षी एकता को फिर से मजबूती देने की कोशिश करेगी।

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