आरक्षण पर JDU के बाद अब कांग्रेस राग, 9thशेड्यूल से हट सकता है 50% कैप?
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आरक्षण पर JDU के बाद अब कांग्रेस राग, 9thशेड्यूल से हट सकता है 50% कैप?

कांग्रेस का कहना है कि वो 50 फीसद आरक्षण कैप को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र सरकार को इस विषय पर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करना चाहिए


Government Job Reservation News: कांग्रेस का कहना है कि संसद को 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण देने के लिए कानून पारित करना चाहिए। यह बात राजग के घटक दल जदयू द्वारा बिहार में आरक्षण वृद्धि को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के एक दिन बाद कही गयी।जनता दल-यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार को यहां हुई बैठक में पार्टी ने पटना उच्च न्यायालय के हाल के फैसले पर चिंता व्यक्त की, जिसमें बिहार सरकार के अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के फैसले को रद्द कर दिया गया।

जेडीयू पहले ही कर चुका है मांग
बैठक में पारित एक राजनीतिक प्रस्ताव में जेडी(यू) ने भाजपा नीत केंद्र से आग्रह किया कि वह राज्य के कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची के अंतर्गत रखे ताकि इसकी न्यायिक समीक्षा की संभावना समाप्त हो सके।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पूरे लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान विपक्षी पार्टी कहती रही है कि अनुसूचित जातियों, जनजातियों और सभी पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण से संबंधित सभी राज्य कानूनों को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए, जैसा कि 1994 में तमिलनाडु के एक कानून के मामले में किया गया था।

कांग्रेस ने जेडीयू की तारीफ की
रमेश ने कहा, "यह अच्छी बात है कि जेडी(यू) ने कल पटना में यही मांग की है। लेकिन राज्य और केंद्र दोनों में इसकी सहयोगी बीजेपी इस मामले पर पूरी तरह चुप है।"पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि, 50 प्रतिशत की सीमा से परे आरक्षण कानूनों को नौवीं अनुसूची में लाना भी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, ऐसे कानून भी न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए संविधान संशोधन कानून की आवश्यकता है।उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में एकमात्र रास्ता यह है कि संसद संविधान संशोधन विधेयक पारित करे, जिससे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सभी पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा।"

रमेश ने कहा कि 50 प्रतिशत की वर्तमान सीमा संविधान द्वारा स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों के माध्यम से तय की गई है।"यह लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मुख्य गारंटी में से एक थी और है।"उन्होंने कहा, "क्या गैर-जैविक प्रधानमंत्री अपना रुख स्पष्ट करेंगे? हमारी मांग है कि संसद के अगले सत्र में ऐसा विधेयक पेश किया जाना चाहिए। जेडी(यू) को सिर्फ प्रस्ताव पारित करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए।"

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