कांग्रेस की चुनाव आयोग को क़ानूनी कार्रवाई की धमकी, प्रतिक्रिया की भाषा का रखें ध्यान
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कांग्रेस की चुनाव आयोग को क़ानूनी कार्रवाई की धमकी, प्रतिक्रिया की भाषा का रखें ध्यान

पार्टी ने लिखा, "यदि चुनाव आयोग का लक्ष्य तटस्थता के अंतिम अवशेषों को भी नष्ट करना है, तो वह इस धारणा को बनाने में उल्लेखनीय काम कर रहा है।"


Congress On ECI: कांग्रेस ने भारतीय चुनाव आयोग को क़ानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है. कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच का ये विवाद हरियाणा चुनाव के मतदान से शुरू हुआ है. जहाँ मतदान के दिन और परिणाम के बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर तमाम तरह के आरोप लगाये तो जवाब में अब चुनाव आयोग ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. जिसके बाद कांग्रेस ने शुक्रवार (1 नवंबर) को चुनाव आयोग पर पार्टी और उसके नेताओं पर हमला करने का आरोप लगाया और धमकी दी कि अगर वह ऐसा करना जारी रखता है तो ऐसी टिप्पणियों को हटाने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.


कांग्रेस ने पत्र लिख कर दिया जवाब
कांग्रेस ने कड़े शब्दों में लिखे पत्र में दावा किया कि चुनाव आयोग का जवाब अपमानजनक लहजे में लिखा गया है और चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग ऐसी भाषा का इस्तेमाल करता रहा तो उसके पास ऐसी टिप्पणियों को हटाने के लिए कानूनी सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. पार्टी ने लिखा, "अगर चुनाव आयोग का लक्ष्य तटस्थता के आखिरी निशान को भी मिटाना है, तो वह ऐसी छवि बनाने में उल्लेखनीय काम कर रहा है."
कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में अनियमितताओं के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि पार्टी पूरे चुनावी परिणाम की विश्वसनीयता पर ‘‘सामान्य संदेह का धुआं’’ उठा रही है, जैसा कि उसने अतीत में किया था.


'खुद को क्लीन चिट दे दी'

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश सहित 9 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित चुनाव आयोग को लिखे पत्र में पार्टी ने कहा, "हमने आपकी शिकायतों पर आपके जवाब का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है. आश्चर्य की बात नहीं है कि चुनाव आयोग ने खुद को क्लीन चिट दे दी है. हम आमतौर पर इसे ऐसे ही रहने देते. हालांकि, चुनाव आयोग के जवाब का लहजा और भाव, इस्तेमाल की गई भाषा और कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोप हमें जवाबी जवाब देने के लिए मजबूर करते हैं."

चुनाव आयोग को याद रखना चाहिए कि वो संविधान के तहत स्थापित निकाय है
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया में कहा गया, "हम नहीं जानते कि माननीय आयोग को कौन सलाह दे रहा है या मार्गदर्शन दे रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि आयोग यह भूल गया है कि यह संविधान के तहत स्थापित एक निकाय है और इसे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों - प्रशासनिक और अर्ध-न्यायिक दोनों - के निर्वहन की जिम्मेदारी सौंपी गई है."
कांग्रेस महासचिव रमेश ने एक्स पर जवाब पोस्ट करते हुए कहा, "ईसीआई ने हरियाणा के 20 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की विशिष्ट शिकायतों पर कोई जवाब नहीं दिया."

चुनाव आयोग सिर्फ कर्तव्य निभा रहा है
कांग्रेस के पत्र में कहा गया है कि यदि चुनाव आयोग किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी को सुनवाई का अवसर देता है या उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की सद्भावनापूर्वक जांच करता है तो यह कोई अपवाद या छूट नहीं है, बल्कि यह उस कर्तव्य का पालन है जिसे उसे करना आवश्यक है.
पत्र में कहा गया है, "यदि आयोग हमारी सुनवाई करने से इनकार कर रहा है या कुछ शिकायतों पर विचार करने से इनकार कर रहा है (जो उसने अतीत में किया है) तो कानून ईसीआई को यह कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए उच्च न्यायालयों के असाधारण क्षेत्राधिकार का सहारा लेने की अनुमति देता है (जैसा कि 2019 में हुआ था)."
कांग्रेस नेताओं, जिन्होंने चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को याचिका दी थी, ने कहा कि अब चुनाव आयोग का हर जवाब या तो व्यक्तिगत नेताओं या पार्टी पर व्यक्तिगत हमलों से भरा हुआ प्रतीत होता है.

पार्टी का ध्यान मुद्दों तक सीमित
नेताओं ने कहा कि कांग्रेस का पत्र-व्यवहार मुद्दों तक ही सीमित रहता है तथा मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों के उच्च पद के प्रति सम्मान को ध्यान में रखकर लिखा जाता है. रमेश, केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, भूपेंद्र हुड्डा, अजय माकन, अभिषेक मनुसिंघवी, उदय भान, प्रताप बाजवा और पवन खेड़ा द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है, "निर्णय लिखने वाले न्यायाधीश मुद्दे उठाने वाले पक्ष पर हमला नहीं करते या उसे बुरा-भला नहीं कहते. हालांकि, अगर चुनाव आयोग अपनी बात पर अड़ा रहता है तो हमारे पास ऐसी टिप्पणियों को हटाने के लिए कानूनी उपाय अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा (एक उपाय जिससे चुनाव आयोग परिचित है क्योंकि उसने कोविड के बाद उच्च न्यायालय की अप्रिय लेकिन सटीक टिप्पणियों के साथ ऐसा करने का असफल प्रयास किया था)."
अंतिम टिप्पणी मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 2021 में चुनाव आयोग को फटकार लगाने का संदर्भ थी, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को रैलियां निकालने और बैठकें आयोजित करने की अनुमति देने से कोविड मामलों में वृद्धि हुई है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने कहा था कि इस तरह के 'तुच्छ और निराधार' संदेह से 'अशांति' पैदा होने की संभावना है, जब मतदान और मतगणना जैसे महत्वपूर्ण कदम चल रहे हैं, एक ऐसा समय जब जनता और राजनीतिक दलों की चिंता चरम पर है.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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