गौरव गोगोई का पीएम मोदी पर कटाक्ष, बोले - नहीं लगा पाओगे नेहरू के योगदान पर काला दाग
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गौरव गोगोई का पीएम मोदी पर कटाक्ष, बोले - नहीं लगा पाओगे नेहरू के योगदान पर काला दाग

गौरव गोगोई ने कहा, पीएम मोदी हर बार नेहरू और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं, लेकिन जितनी कोशिश कर लें, नेहरू जी पर दाग नहीं लगा पाएंगे.'


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लोकसभा में वंदे मातरम् के 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने जोरदार पलटवार किया. गौरव गोगाई ने कहा,'प्रधानमंत्री के आज के भाषण से दो ही बातें समझ आई. पहला ऐसा लगा जैसे उनके राजनीतिक पूर्वज ही अंग्रेजों से लड़ रहे थे और दूसरा - पूरा वंदे मातरम को राजनीतिक रूप से विवादित करना चाहते हैं.' गौरव गोगोई ने पीएम मोदी पर कटाक्ष किया, आप जितनी कोशिश कर लें, पंडित नेहरू के योगदान पर काला दाग नहीं लगा पाएंगे.'

गौरव गोगोई ने कहा, पीएम मोदी हर बार नेहरू और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं, लेकिन जितनी कोशिश कर लें, नेहरू जी पर दाग नहीं लगा पाएंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'आप 1937 के कांग्रेस अधिवेशन की बात करते हैं, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं, 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आपके राजनीतिक पूर्वज कहां थे?' गोगोई ने कहा, 'मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम् का पूर्ण बहिष्कार करने की मांग की थी. हमारे नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब ने कहा था- मुझे वंदे मातरम से कोई आपत्ति नहीं. यही फर्क है हमारे मौलाना आजाद और मुस्लिम लीग में. उस समय हिंदू महासभा ने भी वंदे मातरम की आलोचना की थी.'

ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र करते हुए गोगोई ने कहा, वंदे मातरम की यात्रा का अध्ययन जरूरी है. उन्होंने पीएम मोदी के एक घंटे के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया है. प्रधानमंत्री ने रवैये को लेकर गोगोई ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के समय भी संसद में भाषण के दौरान पीएम मोदी ने 14 बार पंडित नेहरू का नाम लिया। उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री के भाषणों के रिकॉर्ड्स का जिक्र करते हुए गिनाया कि कितनी बार पीएम मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और कांग्रेस का जिक्र कर चुके हैं.

गोगोई ने कहा, मैं बंगाल की उस भमि को नमन करता हूं, जहां से बंकीम चंद्र, रवींद्र नाथ टैगोर, खुदीरामबोस सहित कई महापुरुष आए. बंगाल की धरती ने न हमें सिर्फ राष्ट्रगान दिया, बल्कि राष्ट्रीय गीत भी दिया. उन्होंने कहा, जिन्होंने ऐसी कविताएं रची, ऐसी गीत रचे, जिन शब्दों की प्रेरणाओं के साथ स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिली. गोगोई बोले, वायसराय कर्जन ने बंगाल के दो भाग में करके सोचा कि वह भारत पर गहरी चोट डालेंगे. 1905 में स्वदेशी आंदोलन के बाद वंदे मातरम् का देश भर में प्रचार हुआ. कई जगहों पर ट्रांसलेशन के लिए अलग-अलग भाषाओं में वंदे मातरम् की व्याख्या पूरे देश में पहुंची, राजनीतिक नारा से इसे राष्ट्रीय तवज्जो मिला.

कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय गीत की तवज्जो दी. 1905 में स्वदेशी आंदोलन हुआ. उसी साल बनारस में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ. वहां सरला देव चौधरी ने वंदे मातरम् गीत पेश किया. उन्होंने बहुत अहम संशोधन किया. बंकिम चंद्र ने इसे बंगाल के संदर्भ में लिखा था और आबादी 7 करोड़ लिखा था, सरला देव चौधरी ने उसमें बदलाव करके 30 करोड़ किया और इसे देशभर में तवज्जो दी.

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