कभी नजर आते हैं दुश्मन तो कभी दोस्त, क्या चीन मुद्दे पर कंफ्यूज है कांग्रेस
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कभी नजर आते हैं दुश्मन तो कभी दोस्त, क्या चीन मुद्दे पर कंफ्यूज है कांग्रेस

क्या चीन मुद्दे पर कांग्रेस नेता दो तरह की बात कहते हैं। राहुल गांधी जहां इस विषय पर मोदी सरकार को घेरते हैं। वहीं उनके खास सहयोगी सैम पित्रोदा की राय कुछ अलग है।


India China Relation: चीन के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी का रुख क्या है। कांग्रेस के नेताओं की बोली कभी नरम तो कभी गरम सुनाई पड़ती है। चीन के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हमेशा नरेंद्र मोदी सरकार की घेरेबंदी करते हैं। गलवान, उत्तराखंड में घुसपैठ,अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ को मोदी सरकार की नाकामी बताते हैं। लेकिन उनके बेहद करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा के मुताबिक अब भारत को चीन के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है। उनके मुताबिक आज के मौजूदा समय में हम किसी देश से विवाद या तनाव नहीं बल्कि सहयोग के जरिए आगे बढ़ सकते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) फिर चीन के मुद्दे पर अलग नजरिया क्यों रखते हैं। सबसे पहले चीन के विषय पर सैम पित्रोदा (Sam Pitroda ने क्या कहा।

क्या दो तरह की बात करती है कांग्रेस
सैम पित्रोदा ने आईएएनएस के साथ इंटरव्यू में कहा कि वो चीन को खतरा नहीं समझते। उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है। उनके मुताबिक हमारा रवैया शुरू से टकराव वाला रहा है और इसकी वजह से दुश्मन पैदा होते हैं। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। हमें यह मानना ​​बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। सैम पित्रोदा ने इस तरह से जवाब क्यों दिया। दरअसल उनसे सवाल यह पूछा गया था कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से खतरों को नियंत्रित कर पाएंगे।

भाजपा का पलटवार
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों ने हमारी 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दी, उन्हें अभी भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिखता। कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ खाते हैं और IMEEC की घोषणा से एक दिन पहले BRI का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के रहस्यमयी कांग्रेस-सीसीपी एमओयू में छिपा है। सुरक्षा चिंताओं और व्यापार निहितार्थों के मद्देनजर चीन अमेरिका के प्रमुख सिरदर्दों में से एक रहा है। भारत भी चीन के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है, जो 2020 में हिंसक झड़पों से चिह्नित था।

भारत में विपक्ष का दावा है कि इन झड़पों के दौरान देश ने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा चीन को खो दिया है। यह दावा इस महीने की शुरुआत में राहुल गांधी के संसद भाषण में फिर से सामने आया। राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन का 4,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर नियंत्रण है, जिसका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खंडन किया था।

भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि पित्रोदा राहुल गांधी के करीबी सहयोगी हैं और उन्होंने कांग्रेस पर भारत के हितों से ऊपर चीन के हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।यह आदमी चीन की अंतहीन प्रशंसा करता है, जबकि कांग्रेस पार्टी द्वारा 2008 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना भारत के हितों के साथ विश्वासघात और चीन के हितों को प्राथमिकता देने का एक सहज तरीका दर्शाता है! यह पागलपन है कि कांग्रेस हमेशा चीन और पाकिस्तान के हितों को हमारे हितों से ऊपर रखने में कामयाब रहती है?

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