‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बोली कांग्रेस- ये नहीं प्रैक्टिकल, बीजेपी छोड़ रही गर्म हवा के गुब्बारे
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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बोली कांग्रेस- ये नहीं प्रैक्टिकल, बीजेपी छोड़ रही गर्म हवा के गुब्बारे

कांग्रेस ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार व्यावहारिक नहीं है और आश्चर्य जताया कि एनडीए सरकार ‘पानी की जांच करने के लिए गर्म हवा के गुब्बारे’ छोड़कर कितने समय तक टिकेगी.


One Nation One Election: कांग्रेस ने सोमवार (16 सितंबर) को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार व्यावहारिक नहीं है और आश्चर्य जताया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ‘पानी की जांच करने के लिए गर्म हवा के गुब्बारे’ छोड़कर कितने समय तक टिकेगी. विपक्षी पार्टी का यह बयान उन रिपोर्टों के बाद आया है, जिनमें कहा गया था कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लागू करेगी.

कोई मसौदा प्रस्ताव नहीं

कांग्रेस ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का कोई मसौदा प्रस्ताव नहीं है और सरकार ने इस पर बात करने का कोई प्रयास नहीं किया है. सूत्रों ने रविवार को कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू करेगी. उन्होंने विश्वास जताया कि इस सुधार उपाय को सभी दलों का समर्थन मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर एकजुटता शेष कार्यकाल के लिए भी जारी रहेगी.

वहीं, सरकार के मौजूदा कार्यकाल में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू किए जाने की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आपने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक प्रवक्ता हूं और मोदी सरकार की कई विफलताओं को उजागर कर रही हूं. चुनिंदा सूचनाएं लीक करके यह सरकार कब तक चलती रहेगी? उन्होंने कहा कि यह सरकार इस देश की वास्तविक समस्याओं से आंखें मूंदकर कब तक जीवित रहेगी? यह सरकार सूचनाएं फैलाकर, पानी की जांच के लिए गर्म हवा के गुब्बारे छोड़कर कब तक जीवित रहेगी? वास्तविकता यह है कि कोई मसौदा नहीं है, वास्तविकता यह है कि कोई चर्चा नहीं हुई है, वास्तविकता यह है कि विधानसभाएं प्रगति पर हैं, वास्तविकता यह है कि सरकार ने हमसे बात करने का कोई प्रयास नहीं किया है.

श्रीनेत ने कहा कि ऐसा करना बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है. लेकिन सरकार को इस पर बातचीत करनी होगी. इसलिए ये स्रोत-आधारित सूचनाएं, जिनके सहारे यह सरकार चल रही है, स्रोत-आधारित सूचनाएं लीक करना, समाचार चैनलों पर चलाना, व्हाट्सएप के माध्यम से रिपोर्टिंग करना, यह बकवास बंद होनी चाहिए. लेकिन यही जारी है और पिछले 100 दिनों में यही जारी है. इस बीच एनडीए के मौजूदा कार्यकाल के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू करने की रिपोर्टों पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल किया कि भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में एक साथ विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करा सकता है.

उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि भारत सरकार के कुछ शीर्ष पदाधिकारियों ने दावा किया है कि मोदी के कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू किया जाएगा. काश, पत्रकारों ने कम से कम उस अधिकारी से पूछा होता कि अगर ऐसा है तो चुनाव आयोग हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के चुनाव एक साथ क्यों नहीं करा सकता?

समिति की सिफारिश

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक था. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई थी. इसके अलावा विधि आयोग वर्ष 2029 से सरकार के तीनों स्तरों- लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है और सदन में मतभेद या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में संयुक्त सरकार के लिए प्रावधान कर सकता है.

कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की है. इसने पैनल की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का प्रस्ताव रखा है. पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना होगा.

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