Anti Terror Outreach: नाम सुझाए 4 जगह मिली 1 को, मोदी सरकार पर कांग्रेस भड़की
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Anti Terror Outreach: नाम सुझाए 4 जगह मिली 1 को, मोदी सरकार पर कांग्रेस भड़की

Operation Sindoor के बारे में दुनिया के देशों को बताने लिए कुल 7 प्रतिनिधमंडल दौरा करेंगे। वहीं कांग्रेस का कहना है कि उसके सुझाए 4 में से सिर्फ एक को जगह मिली।


ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने क्या कुछ हासिल किया और उसके पीछे का मकसद क्या है। इसे बताने के लिए दुनिया भर के देशों का भारतीय प्रतिनिधि मंडल दौरा करेगा। हालांकि ये बात अलग है कि इस पर सियासत भी शुरू हो चुकी है। देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि प्रतिनिधि मंडल में जिन चार नामों को सुझाया गया उनमें से सिर्फ एक नाम पर मोदी सरकार ने मुहर लगाई।

कांग्रेस का बयान

16 मई की सुबह मोदी सरकार ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जा रहे प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस सांसदों/नेताओं के 4 नाम मांगे। इन 4 नामों को 16 मई को दोपहर 12 बजे ही लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री को लिखित रूप में भेज दिया।

आज देर रात (17 मई) सभी प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों की पूरी सूची आधिकारिक रूप से जारी कर दी गई। सबसे दुखद बात यह है कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सुझाए गए 4 नामों में से केवल 1 को ही शामिल किया गया है। यह मोदी सरकार की पूरी तरह से निष्ठाहीनता को साबित करता है और गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके द्वारा हमेशा खेले जाने वाले सस्ते राजनीतिक खेल को दर्शाता है।

सरकार द्वारा जारी लिस्ट


कांग्रेस द्वारा सुझाए नाम

आनंद शर्मा

गौरव गोगोई

सैय्यद नसीर हुसैन

अमरिंदर सिंह राजा वारिंग

मोदी सरकार के कहने पर शामिल किए गए 4 प्रतिष्ठित कांग्रेस सांसद/नेता निश्चित रूप से प्रतिनिधिमंडलों के साथ जाएंगे और अपना योगदान देंगे। कांग्रेस प्रधानमंत्री और भाजपा के दयनीय स्तर तक नहीं गिरेगी। यह हमेशा संसदीय लोकतंत्र की बेहतरीन परंपराओं को कायम रखेगी और भाजपा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पक्षपातपूर्ण राजनीति नहीं करेगी। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को शुभकामनाएं देती है। हालांकि, इन प्रतिनिधिमंडलों को कांग्रेस की मांगों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हो और संसद का विशेष सत्र बुलाकर 22 फरवरी 1994 को पारित प्रस्ताव को दोहराया जाए और उसके बाद के घटनाक्रमों पर भी ध्यान दिया जाए।

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