सदन में संविधान पर बहस, क्या प्रियंका गांधी ने सेट किया एजेंडा
Constitution Debate Lok Sabha:रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक खास पार्टी ने संविधान को हाइजैक कर लिया है. वहीं प्रियंका गांधी ने कहा यह इंसाफ का दस्तावेज है।
Constitution Debate In Loksabha: संविधान पर डिबेट की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि यह सिर्फ दस्तावेज नहीं बल्कि देश निर्माण का रोडमैप है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस का नाम तो नहीं लिया। लेकिन इशारों इशारों में कह दिया कि एक पार्टी विशेष ने संविधान को हाइजैक करने की कोशिश की। इस तरीके से उन्होंने विपक्ष की कार्यप्रणाली पर तीखे प्रहार किए। इसके जवाब में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने तीखे अंदाज में जवाहर लाल नेहरू, किसानों की समस्या और जाति जनगणना, कानून व्यवस्था, आर्थिक विकास के मुद्दे पर सरकार को घेरा।
उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता (Unnao Rape Case) के घर गई। उसके खेत जलाए गए थे और उसके भाइयों को पीटा गया था।मैं उस बच्ची के पिता से मिली। उस बच्ची के पिता ने कहा: 'मुझे न्याय चाहिए। मेरी बेटी अपने जिले में FIR दर्ज कराने गई तो उसे मना किया गया। फिर उसे दूसरे जिले जाना पड़ा। वो रोज सुबह उठकर अकेली अपना मुकदमा लड़ने दूसरे जिले में ट्रेन से जाती थी।'पिता ने बताया कि मैं उसे मना करता था कि ये लड़ाई छोड़ दो, लेकिन उस बच्ची ने कहा कि 'पिता जी, ये मेरी लड़ाई है, जिसे मैं लडूंगी।'उस बच्ची और देश की करोड़ों महिलाओं को ऐसी हिम्मत हमारे संविधान ने दी है।
हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच (Constitution Debate) है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है।हमारा संविधान न्याय, एकता और अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है।लेकिन बीते 10 साल में सत्ता पक्ष ने ये सुरक्षा कवच तोड़ने का पूरा प्रयास किया है।
हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है।इस ज्योत ने हर भारतीय को शक्ति दी है कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता है। इस संविधान (Constitution Debate News) ने हर देशवासी को ये अधिकार दिया है कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है।इस ज्योत ने हर हिंदुस्तानी को ये विश्वास दिया कि देश की संपत्ति में उसका भी हिस्सा है। उसे एक सुरक्षित भविष्य का अधिकार है।उम्मीद और आशा की ये ज्योत मैंने देश के कोने-कोने में देखी है।
हमारे देश में संवाद और चर्चा की हजारों साल पुरानी परंपरा रही है।ये परंपरा हर धर्म, दर्शन ग्रंथों, वेदों और उपनिषदों में दिखती है। वाद-संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है।इसी परंपरा से हमारा स्वतंत्रता संग्राम निकला था, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। ये एक बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी।इस आंदोलन से देश के किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी.. सभी जुड़े थे। सबने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी।इसी आजादी की लड़ाई से देश में एक आवाज उठी, जो हमारा संविधान है। ये साहस और आजादी की आवाज थी।