
Operation Sindoor: भारत की छवि सुधारने निकले नेता, खुद का इतिहास दागदार
अनुराग ठाकुर, निशिकांत दुबे, नफरती भाषणों के लिए मशहूर तेजस्वी और यौन उत्पीड़न के आरोपी एमजे अकबर उन 58 दूतों के समूह का हिस्सा हैं जो भारत का संदेश दुनिया तक पहुंचाएंगे
जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में भारत के वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान को लेकर बहस में उलझे हैं, तब यह विवाद और गहरा हो गया है कि भाजपा ने 58-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर को नामांकित नहीं होने के बावजूद शामिल क्यों किया। हालांकि, इस बहस में भाजपा के अपने प्रतिनिधियों की विवादित छवि पर सवाल अपेक्षाकृत कम उठाए गए हैं।
यह प्रतिनिधिमंडल सात टीमों में बंटा है, जिसमें विदेशों में भारत की आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें कम से कम चार ऐसे भाजपा नेता हैं जिनका घरेलू रिकॉर्ड विवादों से भरा रहा है — इनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर शामिल हैं।
अनुराग ठाकुर: नफरत भरे नारे और विवादित बयानों का इतिहास
हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जो सुप्रिया सुले के नेतृत्व में मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका जाएगा। 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के दौरान दिल्ली की एक रैली में उन्होंने “देश के गद्दारों को, गोली मारो…” जैसे भड़काऊ नारे लगवाए थे, जिसके बाद देश में कई हिंसक घटनाएं हुई थीं।
चुनाव आयोग ने उन्हें भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से हटाकर 72 घंटे के लिए प्रचार करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में, उन्होंने मीडिया पर “आधा सच फैलाने” का आरोप लगाया और खुद को निर्दोष बताया।
एमजे अकबर: मीटू आंदोलन की छाया
भूतपूर्व पत्रकार और पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर भी इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं। 2018 के #MeToo अभियान के दौरान कई महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसमें प्रमुख पत्रकार प्रिया रमानी का नाम शामिल था। अदालत ने 2021 में रमानी को मानहानि के मामले से बरी कर दिया। अब वह रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में यूरोप के कई देशों की यात्रा करेंगे।
निशिकांत दुबे: न्यायपालिका और अल्पसंख्यकों पर टिप्पणियां
गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे भी भाजपा के उन नेताओं में हैं, जो अक्सर विवादित बयान देते हैं। उन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर "धार्मिक युद्ध भड़काने" का आरोप लगाया था। इससे पहले उन्होंने SY कुरैशी को “मुस्लिम कमिश्नर” कहते हुए उन पर बांग्लादेशियों को वोटर बनाने का आरोप लगाया था।
हैरानी की बात यह है कि अब वे उसी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं जो मुस्लिम बहुल देशों – सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया – का दौरा करेगा। दिलचस्प रूप से इस टीम में उनके राजनीतिक विरोधी असदुद्दीन ओवैसी भी हैं।
तेजस्वी सूर्या: सांप्रदायिक टिप्पणियों और महिला विरोधी सोच पर घिरते रहे हैं
बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं। मार्च 2024 में उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में मुस्लिम समुदाय पर हमले का आरोप लगाया, जिसमें दावा किया गया था कि एक हिंदू दुकानदार पर 'हनुमान चालीसा' बजाने के कारण हमला हुआ। हालांकि पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह मामला सांप्रदायिक नहीं था।
2020 में सूर्या का एक पुराना ट्वीट वायरल हुआ जिसमें उन्होंने अरब महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उन्हें यूएई के शाही परिवार की आलोचना का सामना करना पड़ा। महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ 2014 के उनके पुराने ट्वीट भी उभरकर सामने आए थे।
अब वे शशि थरूर के नेतृत्व में अमेरिका, ब्राज़ील और कोलंबिया जैसे देशों की यात्रा करेंगे।
सवाल उठते हैं...
सरकार की मंशा यदि भारत की विविधता और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को प्रदर्शित करना है, तो क्या ऐसे नेता इस छवि के सही प्रतिनिधि हैं? विपक्ष इन नियुक्तियों को भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का विस्तार मान रहा है।
भारत की वैश्विक छवि को मज़बूत करने के लिए जिन प्रतिनिधियों को चुना गया है, उनकी अपनी विश्वसनीयता और व्यवहार पर उठते सवाल आने वाले समय में इस अभियान की सफलता और भारत के नैतिक नेतृत्व पर असर डाल सकते हैं।