थरूर से प्यार, राहुल-खरगे को इनकार ! पुतिन के सम्मान में हुए डिनर के निमंत्रण को लेकर विवाद
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राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलते कांग्रेस सांसद शशि थरूर (वीडियो ग्रैब- ANI)

थरूर से 'प्यार'', राहुल-खरगे को इनकार ! पुतिन के सम्मान में हुए डिनर के निमंत्रण को लेकर विवाद

शशि थरूर को पुतिन के सम्मान में आयोजित डिनर में बुलाए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "जब मेरे नेताओं को नहीं बुलाया जाए और मुझे बुलाया जाए तो हमें खेल समझ लेना चाहिए। हमें उस खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।"


किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के भारत आने पर उनके सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले डिनर में विपक्ष के नेता या प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता को भी आमंत्रित किए जाने की रीत रही है, परंपरा रही है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में दिए गए सरकारी डिनर में विपक्षी नेताओं को बुलाया ही नहीं गया। न लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को निमंत्रण दिया गया और न ही राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को ही बुलाया गया। लेकिन बात सिर्फ इतनी ही होती तो फिर भी समझ में आती। राहुल गांधी और खरगे को नहीं बुलाया लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर को ज़रूर न्योता दिया गया और वो वहां मौजूद भी हुए। इससे एक नया विवाद पैदा हो गया है।

कांग्रेस ने सरकार के इस फ़ैसले पर जहां सवाल उठाया, वहीं शशि थरूर भी पार्टी की आलोचना के निशाने पर आ गए. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा, "जिन्होंने इनवाइट दिया, उन्होेंने कमाल किया और जिन्होंने इनवाइट स्वीकार किया, उन्होंने भी कमाल किया। पवन खेड़ा ने कहा कि जब मेरे नेताओं को नहीं बुलाया जाए और मुझे बुलाया जाए तो हमें खेल समझ लेना चाहिए। हमें उस खेल का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।"



लेकिन कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित शशि थरूर को पुतिन के सम्मान में आयोजित सरकारी डिनर में बुलाए जाने पर हैरान नहीं हैं...लेकिन उस डिनर में लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को न बुलाए जाने को संदीप दीक्षित ने सरकार की एक कुंठित विचारधारा बताया।


कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, "ऐसे मौक़े पर भी प्रधानमंत्री मोदी साज़िश करने से नहीं चूकते. पूर्व टीएमसी सांसद जवाहर सरकार ने एक्स पर लिखा, "ऐसा राजनीतिक घालमेल क्यों? जब मैं टीएमसी से असहमत था, तो मैंने पार्टी और सांसद पद दोनों छोड़ दिए. शशि थरूर ऐसा क्यों नहीं कर सकते?"


हालांकि शशि थरूर ने संसद भवन परिसर में मीडिया से कहा है कि उन्हें संसद की विदेश मामलों की स्थाई समिति का अध्यक्ष होने के नाते बुलाया गया। उन्होंने ये भी कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में नेता विपक्ष को क्यों नहीं बुलाया गया, ये उन्हें नहीं पता, लेकिन पहले न सिर्फ संसद में नेता विपक्ष बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भी ऐसे समारोह में बुलाया जाता था।



दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी थरूर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर पर बुलाए जाने के फैसले के पक्ष में दलील दे रही है. बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा ने कहा, "कांग्रेस सांसद डॉक्टर शशि थरूर विदेशी मामलों की स्थाई समिति के प्रमुख हैं. उन्हें विदेशी मामलों की विशेषज्ञता है... केवल योग्य लोगों को बुलाया जाता है."



लेकिन कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने विपक्षी नेताओं की विदेशी मेहमानों के साथ मुलाक़ात की परंपरा की याद दिलाई. उन्होंने एएनआई से कहा कि ये परंपरा रही है जिसे प्रधानमंत्री रहते अटल बिहारी वाजपेयी जी तक ने निभाया. जब विदेशी अतिथि आते थे तो वो तब विपक्ष की नेता सोनिया गांधी से मिलवाते थे..इस परंपरा को पीएम रहते मनमोहन सिंह ने भी जारी रखा. लेकिन इसे अब पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है.


असल में पिछले कुछ समय से शशि थरूर अपनी पार्टी कांग्रेस से अलग स्टैंड लेते हुए दिख रहे हैं। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले वो कांग्रेस की एक अहम मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे...ऐसी अटकलें हैं कि कांग्रेस नेतृत्व से उनकी पटरी नहीं बैठ रही है और वो बीजेपी के या केंद्र सरकार के ज्यादा नजदीक हैं। सरकार भी उन्हें बड़े मौकों पर खासा तवज्जो दे रही है लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के सम्मान में राष्टर्पति भवन में आयोजित डिनर में लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को नजरअंदाज करके सिर्फ शशि थरूर को बुलाकर सरकार ने एक नए विवाद को हवा दे दी है।

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