
जाति जनगणना को केंद्र की मंजूरी, क्या है इसका महत्व और असर?
जाति गणना की मांग को अंततः स्वीकार करने के केंद्र के फैसले से इस मुद्दे पर कांग्रेस और व्यापक भारतीय गुट की आलोचना को काफी हद तक कम करने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई 'कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स' (CCPA) ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। अब अगली जनगणना में जाति आधारित गणना भी की जाएगी। इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि जाति की गिनती कैसे होगी और जनगणना कब शुरू होगी, क्योंकि यह प्रक्रिया 2021 से रुकी हुई है।
पहलगाम हमले के बीच आया यह फैसला
जब देशभर में पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) पर सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर बहस हो रही थी, तब सरकार ने चुपचाप यह बड़ा फैसला लेकर विपक्ष को चौंका दिया। यह फैसला कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के उस आरोप को कमजोर करता है,जिसमें सरकार पर जाति जनगणना से इंकार करने का आरोप लगाया जा रहा था।
NDA सहयोगी दलों को साधने की रणनीति
इस फैसले से बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को भी संतुष्ट कर लिया है जैसे- चिराग पासवान की LJP, नीतीश कुमार की JDU, अनुप्रिया पटेल की अपना दल, रामदास अठावले की RPI। इन सभी ने पहले से जाति जनगणना की मांग की थी।
कांग्रेस और राहुल गांधी का दावा
कांग्रेस और राहुल गांधी लंबे समय से जाति आधारित गणना और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आंकड़ों की मांग करते रहे हैं। राहुल गांधी ने लोकसभा में चुनौती दी थी कि या तो आप जाति जनगणना कराएं, नहीं तो हम सत्ता में आकर करेंगे। कांग्रेस का मानना है कि इसी मुद्दे पर उन्हें 2024 में लोकसभा चुनाव में फायदा मिला और पिछड़े वर्गों का बड़ा समर्थन मिला।
बिहार में पहले ही हो चुकी है जाति गणना
बिहार में 2023 में जाति आधारित सर्वे हुआ था, जब तेजस्वी यादव और कांग्रेस नीतीश कुमार की सरकार में शामिल थे। हालांकि, बाद में नीतीश ने बीजेपी से हाथ मिला लिया। बिहार में जातिगत राजनीति गहराई से जुड़ी हुई है। इसलिए चुनाव से पहले केंद्र का यह फैसला अहम माना जा रहा है।
कांग्रेस के अंदर विवाद
राहुल गांधी ने एक बार बिहार के जातीय सर्वे को "फ्रॉड" कह दिया था, जिससे उनके सहयोगी RJD और कांग्रेस के स्थानीय नेता नाराज़ हुए। बाद में कांग्रेस ने सफाई दी कि उनका इशारा JDU और BJP सरकार की निष्क्रियता की ओर था।
मोदी ने फिर मारी बाज़ी
सरकार का यह फैसला दिखाता है कि मोदी ने फिर एक बार विपक्ष को उनके मुद्दे पर ही राजनीतिक मात दे दी है। अब विपक्ष केवल यही कर सकता है कि वह जाति जनगणना का श्रेय लेने की कोशिश करे। केंद्र से पूछे कि ये प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होगी और क्या आरक्षण की 50% सीमा को हटाने की योजना है? हालांकि, टाइमलाइन न बताने पर सरकार की आलोचना हो सकती है। लेकिन इससे अब विपक्ष को वो तीखा हमला करने का मौका शायद ना मिले जो पहले था।