तनातनी बयान पर या सीट है मुद्दा,आखिर कांग्रेस पर क्यों हमलावर हो रही AAP
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तनातनी बयान पर या सीट है मुद्दा,आखिर कांग्रेस पर क्यों हमलावर हो रही AAP

Delhi Assembly Election 2025: आप और कांग्रेस के बीच तनतानी बढ़ गई है। आप को कांग्रेस नेता अजय माकन की टिप्पणी रास नहीं आ रही। लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी सी है।


Delhi Assembly Election 2025: सियासत में रिश्ते एक जैसे होते तो किसी गठबंधन में दरार नहीं आता। लेकिन जब सत्ता हासिल करना ही मकसद हो तो सिद्धांत बदलते हुए मौसम की तरह होते हैं। अब आप खुद महसूस कर सकते हैं। नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) की सत्ता के खिलाफ ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि आप, समाजवादी पार्टी और दूसरे विपक्षी दल हैं। लेकिन यूपी में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को किनारे रखा। हरियाणा में चुनाव होने पर कांग्रेस ने आप को तरजीह नहीं दी। यानी कि जो जहां मजबूत रहा वहां सहयोगी होते हुए भी विरोधी की भूमिका में इंडिया गठबंधन (India Block) के दल नजर आए। अब जब चुनाव दिल्ली में होना है तो आप के सामने बीजेपी तो है। लेकिन कांग्रेस भी ताल ठोंक रही है वो भी किसी एक या दो सीट पर नहीं बल्कि पूरे 70 सीटों पर।

सवाल यह है कि जह आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) ने खुद कहा कि कांग्रेस से चुनावी समझौता नहीं तो कांग्रेस की तरफ से आने वाले बयान रास क्यों नहीं आ रहे। मसलन कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय माकन (Ajay Maken) ने 2013 में आप के साथ समझौते को भूल बताते हुए केजरीवाल को एंटी नेशनल बताया तो आप ने माकन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कांग्रेस को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी सी है या वजह कुछ और है।

अब जब दिल्ली की सियासी लड़ाई में आप के खिलाफ कांग्रेस है तो जाहिर सी बात है कि तीखे हमले किए जा रहे हैं। हाल ही में जब अरविंद केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना और संजीवनी स्कीम का ऐलान किया तो वो कांग्रेस के निशाने पर आ गए। बीजेपी की तरह कांग्रेस का भी कहना है कि सिर्फ चुनावी फसल को काटने के लिए आप भ्रामक ऐलान और प्रचार क्यों कर कर रही है। कांग्रेस के यूथ विंग ने तो बाकायदा एफआईआर तक की धमकी दे दी। लेकिन क्या बात कहीं इससे आगे की है। सियासत के जानकार कहते हैं कि कांग्रेस और आप के बीच तनातनी में दो सीटें अहम हैं। नई दिल्ली सीट और जंगपुरा सीट।

बता दें कि नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सीएम रहीं शीला दीक्षित (Sheila Dixit)) के बेटे संदीप दीक्षित (Sandeep Dixit) चुनावी समर में है। शीला दीक्षित का जिक्र करना इस वजह से जरूरी हो जाता है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल ने उनको सत्ता से हटाया था। हालांकि 2013 में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से मदद लेने से पीछे नहीं हटे, उसके पीछे बीजेपी (BJP Communal Politics) की सांप्रदायिक राजनीति को रोकना था। इसके साथ ही जंगपुरा सीट (Jangpura Assembly Seat से फरहाद सूरी का मनीष सिसोदिया के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार आप को रास नहीं आ रहा। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और मनीष सिसोदिया इस समय भले ही सरकार के हिस्सा ना हों वो पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। ऐसे में अगर उन्हें कठिन चुनौती मिलती नजर आ रही है तो आप के पेशानी पर बल पड़ना स्वाभाविक है।

नई दिल्ली विधानसभा सीट पारंपरिक तौर पर कांग्रेस की रही। शीला दीक्षित यहां से विधायक हुआ करती थीं। लेकिन 2013 से यह परपंरा टूटा। 2013 में केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हरा दिया था। उसके बाद 2015 में केजरीवाल ने किरण वालिया (Kiran Wallia) और 2020 में रोमेश सब्बरवाल को हरा दिया। यानी कि 2013 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस के जो भी उम्मीदवार आए वो केजरीवाल के सामने हल्के पड़े। लेकिन 2025 के चुनाव में शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट देकर कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वो आम आदमी पार्टी को वॉकओवर नहीं देने जा रही है। लिहाजा आप और कांग्रेस (AAP vs Congress) में तनातनी बढ़ गई है।

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