न्यायिक कार्यों से हटाए गए जस्टिस वर्मा, दिल्ली हाईकोर्ट से सर्कुलर
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न्यायिक कार्यों से हटाए गए जस्टिस वर्मा, दिल्ली हाईकोर्ट से सर्कुलर

यह फैसला भारत के चीफ जस्टिस संजय खन्ना की सिफारिश के बाद लिया गया है, जिन्होंने सुझाव दिया था कि जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।


दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय ने सोमवार को जस्टिस यशवंत वर्मा को तुरंत प्रभाव से न्यायिक कार्यों से हटा दिया। यह फैसला तब आया जब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजय खन्ना ने शनिवार को एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जो जस्टिस वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने से जुड़े आरोपों की जांच करेगी।

सर्कुलर में क्या है?

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सोमवार को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है, "हाल की घटनाओं को देखते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तुरंत प्रभाव से अगले आदेश तक वापस लिया जाता है।"

इस फैसले के बाद हाईकोर्ट ने एक नया रोस्टर जारी किया, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ से जुड़े मामलों को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच को सौंपा गया। यह बदलाव मंगलवार से प्रभावी होगा।

जस्टिस वर्मा के पास कौन से मामले थे?

हालांकि, सोमवार को कोर्ट मास्टर ने उन मामलों की अगली तारीखें जारी कर दीं, जो पहले जस्टिस वर्मा की बेंच के पास लिस्टेड थे। विवाद से पहले, जस्टिस वर्मा की बेंच सेल्स टैक्स, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी।

यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजय खन्ना की शनिवार को की गई सिफारिश के बाद लिया गया, जिसमें कहा गया था कि जस्टिस वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।

यह विवाद 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के तुगलक रोड स्थित सरकारी आवास में लगी आग से जुड़ा है। दिल्ली फायर सर्विसेज (DFS) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कुछ ही मिनटों में आग बुझा दी।

उसी दौरान जस्टिस वर्मा के आवास के स्टोररूम में भारी मात्रा में नोटों के बंडल पाए, जिनमें से कुछ कथित रूप से जली हुई अवस्था में थे। घटना के समय जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे।

किसके जिम्मे जांच?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए जो पैनल बनाया है, उनमें शामिल हैं, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुकर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीशख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन।

यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजय खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की सिफारिश के बाद लिया, जिन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच की सिफारिश की थी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा देर से जारी की गई अपनी रिपोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उपाध्याय ने कहा, "मेरी प्रारंभिक राय में, पूरे मामले की गहन जांच आवश्यक है।"

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