डिब्रूगढ़ हादसे के लिए रफ्तार या इंजीनियरिंग सेक्शन दोषी, अब ब्लेम गेम
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डिब्रूगढ़ हादसे के लिए रफ्तार या इंजीनियरिंग सेक्शन दोषी, अब ब्लेम गेम

प्रारंभिक रिपोर्ट में रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग पर उंगलिया उठाई गयी हैं. दोपहर 1:30 बजे ट्रैक में खराबी का पता चल गया था. लेकिन चेतावनी दोपहर 2:30 बजे जारी की गयी. ट्रेन की गति 30 किमी/घंटा होनी थी जबकि गति 86 किमी/घंटा थी


Dibrugarh Express Accident: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में दुर्घटना ग्रस्त हुई डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ( ट्रेन संख्या 15904 ) के मामले में चल रही जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट में रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग पर उंगलिया उठाई गयी हैं, तो वहीँ इंजीनियरिंग विभाग ने खुद को सही बताया है. इस वजह से फिलहाल जाँच समिति ने अभी तक कोई फाइनल यानी अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन जो सवाल उठाये गए हैं, उसमें रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग पर ऊँगली उठना लाज़मी है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस ट्रैक पर हादसा हुआ, उसकी मरम्मत का काम ठीक से नहीं किया गया? दूसरा बड़ा सवाल कि जब ये पता था कि ट्रैक में गड़बड़ी है, तो फिर चेतावनी पूरे एक घंटा देरी से क्यों जारी की गयी? इसी एक घंटे की देरी को हादसे के लिए सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार माना जा रहा है.

जानते हैं किन खामियों का ज़िक्र किया गया है रिपोर्ट में
सूत्रों के अनुसार हादसे के बाद 5 सदस्यीय टीम को जाँच की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी. इस टीम ने जिन बिन्दुओ को उठाया है, उसमे सबसे पहले बात करते हैं ट्रैक की. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैक को ठीक से कसा या बाँधा नहीं गया था. ट्रैक और पटरियों को बाँधने के लिए नट-बोल्ट को मशीन से ठीक से नहीं कसा गया था.
दूसरा सवाल इस बात पर उठाया गया है कि जब ट्रैक में गड़बड़ी थी और इमिडियेट रिमूवल डिफेक्ट मशीन से भी इसकी पुष्टि हो चुकी थी तो फिर तुरंत चेताकानी जारी क्यों नहीं की गयी?
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट के अनुसार दोपहर 1:30 बजे ट्रैक में खराबी का पता चल गया था. लेकिन चेतावनी दोपहर 2:30 बजे जारी की गयी.

ठीक एक मिनट बाद हो गया हादसा
सूत्रों का कहना है कि अगर चेतावनी सही समय पर जारी हो जाती तो निश्चित है कि ये हादसा टल जाता. इसकी वजह ये है कि जैसे ही मशीन से गड़बड़ी का पता चला तो तुरंत चेतावनी जाति करनी होती है. चेतावनी जारी होने के बाद जो भी ट्रेन उस ख़राब ट्रैक से गुजरती है तो उसकी गति 30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होती. बेहद धीमी गति से ट्रेन को उस ख़राब हिस्से से गुजारा जाता है, लेकिन डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की दुर्घटना में ऐसा नहीं हुआ.
सूत्रों का दावा है कि डेढ़ बजे जब ट्रैक में गड़बड़ी का पता चल गया तो भी चेतावनी दोपहर ढाई बजे जारी की गयी. नतीजा ये हुआ कि डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ठीक एक मिनट बाद 2 बजकर 31 मिनट पर दुर्घटना ग्रस्त हो गयी.

86 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गुजरी थी ट्रेन
इस एक घंटा देरी का नतीजा ये हुआ कि डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटना के समय 86 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ़्तार से दौड़ रही थी. सूत्रों के अनुसार लोको पायलट ने अपने बयान में बताया कि दोपहर 2 बज कर 28 मिनट पर वो मोती गंज स्टेशन से चला, ट्रेन की गति 25 किलोमीटर प्रति घंटा थी. जब ट्रेन ख़राब ट्रैक 638/12 पर पहुंची तो गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से ज्यादा थी. लोको पायलट का कहना है कि अचानक तेज झटका लगा और फिर जोरदार खड़खड़ाहट की आवाज आई. लोकोपायलट ने इमरजेंसी ब्रेक मारे और डिब्बे पलट गए.
जाँच रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर लगभग 400 मीटर बाद जाकर ट्रेन रुकी, इस बीच 19 डिब्बे पटरी से उतरे, जिनमें से 8 पलट गए.

अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है जांच
सूत्रों का कहना है कि अभी जांच किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है. रेलवे सुरक्षा आयुक्त ( CRS ) द्वारा जांच पहले ही शुरू की जा चुकी है. शुक्रवार को इस मामले में पहली सुनवाई हुई. अभी तकनीकी विवरण और छोटी-छोटी जानकारियों को जुटा कर हादसे के हर पहलू की विस्तृत जांच की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि संयुक्त जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने नहीं आ पाते हैं, इसलिए फिलहाल किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.

इंजीनियरिंग विभाग ने अपने ऊपर उठे सवालों पर जताई असहमति, लोको पायलट को ठहराया ज़िम्मेदार
सूत्रों का कहना है कि संयुक्त जांच टीम की जो प्राथमिक रिपोर्ट आई है, उसे लेकर इंजीनियरिंग विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने असहमति जताई है. उन्होंने सम्बन्धित जाँच टीम को लिखा है कि मैं इस रिपोर्ट से पूरी तरह असहमत हूं. इस असहमति के पीछे को कारण हैं, उनमें से एक कारण ट्रैक की माप भी था. उनका कहना है कि इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी की अनुपस्थिति में ट्रैक को गलत तरीके से कसा गया था. उनका कहना है कि इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि जिस ट्रैक पर दुर्घटना हुई वो संरक्षित नहीं था, ये रेल के पटरी से उतरने का कारण नहीं था. सूत्रों का कहना है कि अधिकारी ने इस हादसे के लिए लोको पायलट पर ज़िम्मेदारी डालते हुए ये कहा है कि लोको पायलट ने गलत तरह से ब्रेक लगाये, जिसकी वजह से ट्रेन पटरी से उतरी.

4 लोगों की हुई थी मौत
ज्ञात रहे कि इस दुर्घटना में 4 लोगों की मौत हुई थी और 30 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही थी.


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