क्या एक लाख की गारंटी ने बढ़ाई कांग्रेस की सीट, या सिर्फ सियासी फसल काटने की कवायद
कांग्रेस का गारंटी कार्ड उसे 272 के जादुई आंकड़े तक तो नहीं पहुंचा सका. लेकिन उसके यूपी स्थित दफ्तर पर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एक लाख की आस में जुट गईं.
Congress Guarantee Card: 5 जून 2024, जगह- लखनऊ, कांग्रेस दफ्तर. यह तारीख और जगह इसलिए बताना जरूरी है क्योंकि सैकड़ों की संख्या में महिलाएं कांग्रेस के दिए हुए गारंटी कार्ड को लेकर वहां पहुंची थी. इस उम्मीद में कि अब खाते में 8500 रुपए महीने के हिसाब से एक लाख रुपए आएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महिलाओं ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि चार जून को नतीजे के ठीक एक दिन बाद आप के खाते में एक लाख आएंगे और इस उम्मीद के साथ ही हम कांग्रेस दफ्तर आए. लेकिन यहां लोग बता रहे हैं कि गारंटी कार्ड खत्म हो गया है. यही नहीं अब भ्रामक जानकारी भी दे रहे हैं. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान तो हमसे वादा किया गया था कि अब बस कुछ दिनों की बात है जब युवाओं को नौकरी मिलेगी, किसानों की एमएसपी मिलेगी,गरीब महिलाओं के खाते में पैसे आएंगे. लेकिन अब लगा रहा है कि वो ठगे जा रहे हैं. यह उन महिलाओं का दर्द है जिन्होंने कांग्रेस की गारंटी पर भरोसा करते हुए मत दिया था. बता दें कि 2014 और 2019 की तुलना में कांग्रेस ने आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. इस दफा कांग्रेस के खाते में पूरे देश से 99 सीटें आई हैं.
क्या है कांग्रेस का गारंटी कार्ड
कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान घर घर गारंटी कार्यक्रम को लांच किया था. इसके तहत 8 करोड़ परिवारों तक कुल 25 गारंटी के बारे में बताने का काम कार्यकर्ताओं को सौंपा गया था. उन 25 गारंटी में से एक है महालक्ष्मी योजना. इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की महिला मुखिया के खाते में 8500 रुपए प्रति माह भेजने का वादा किया गया (इसे महालक्ष्मी योजना नाम दिया गया था). इसके अलावा शिक्षित युवा को एक लाख रुपए की नौकरी, मनरोगा के तहत प्रति दिन 400 रुपए की मजदूरी, किसानों के लिए कानूनी एमएसपी देने का वादा किया गया था. 3 अप्रैल 2024 को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि सरकार बनने पर महालक्ष्मी योजना लागू करेंगे. इसके साथ ही राहुल गांधी अपने चुनावी सभाओं में कहा करते थे कि 1 जून के बाद से खटाखट आप लोगों के खाते में 8500 रुपए भेजे जाएंगे.
कर्नाटक की तर्ज पर महालक्ष्मी योजना
कांग्रेस ने अपनी गारंटी में महालक्ष्मी योजना का जिक्र क्यों किया. इसे समझने के लिए हमें कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखना होगा. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस गृहलक्ष्मी योजना की गारंटी के साथ उतरी.इसके तहत हर महीने 2 लाख रुपए देने का वादा किया. यह गांरटी कर्नाटक में काम भी कर गई और कांग्रेस बंपर बहुमत के साथ सरकार में आ गई. कर्नाटक में इस गारंटी से मिली कामयाबी के बाद पार्टी ने इसे अखिल भारतीय स्तर पर नए रूप यानी महालक्ष्मी योजना के रूप में पेश किया. अगर नतीजों को देखें तो कांग्रेस के पास भले ही सरकार बनाने के लिए आंकड़े ना हो. लेकिन सीटों की संख्या सेंचुरी से सिर्फ एक ही कम है. इसका अर्थ यह है कि वोटर्स के बीच इस गारंटी ने जगह बनाई. लेकिन क्या यह मतदाताओं के साथ एक तरह से छल है. क्या सिर्फ यह वोट हासिल करने की कवायद है.
क्या यह वोटर्स के साथ धोखा ?
चुनाव अभियान के दौरान मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए राजनीतिक दल बड़े बड़े वादे करते हैं. वादों के जरिए वोटर्स के दिल में उतरने की कोशिश करते हैं. लेकिन लखनऊ स्थित कांग्रेस दफ्तर के सामने महिलाओं से जब यह पूछा गया कि कांग्रेस की सरकार कहां बनी है जो आपके खाते में पैसे आएंगे. इस तरह के सवाल पर उनका मासूम सा जवाब था कि उन्हें क्या पता. वो तो सिर्फ इतनी सी बात जानती है कि उन्होंने अपने वादे को पूरा किया है. अब राहुल गांधी जी को अपना वादा पूरा करना चाहिए. इस विषय पर अलग अलग तर्क हो सकते हैं लेकिन आखिर लोकलुभावन योजनाओं के जरिए मतदाताओं वो भी गरीब और कम जानकारी रकने वालों के प्रभावित करने के तर्क को कैसे नकारा जा सकता है.