कैबिनेट और राज्य मंत्री में क्या होता है फर्क, जानें- किसमें कितना अंतर
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कैबिनेट और राज्य मंत्री में क्या होता है फर्क, जानें- किसमें कितना अंतर

नरेंद्र मोदी कैबिनेट में कुल 72 लोगों को शामिल किया गया है, किसी को कैबिनेट तो किसी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार तो किसी को राज्य मंत्री बनाया हया है,


Cabinet minister-State minister difference: शपथ लेने के तुरंत बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने पीए किसान निधि फंड की 17वीं किस्त वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए और इस तरह से अपने कामकाज का आगाज किया. रविवार को मोदी सरकार में 30 कैबिनेट मंत्री, पांच राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री बनाए गए. यहां पर हम तीनों के बीच फर्क बताने के साथ इन्हें बाकी सांसदों से अलग क्या कुछ मिलता है उसके बारे में बताएंगे.यहां बता दें कि केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में अधिकतम 81 मंत्री बन सकते हैं, इस लिहाज से अभी 9 सीटें खाली हैं.

मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या को 91वें संविधान संशोधन के जरिए नियंत्रित किया गया है. मसलन कुल 543 सीटों में से सिर्फ 15 फीसद सांसद ही बनाए जा सकते हैं. इसी तरह संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत पीएम की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करते हैं.मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री कैबिनेट, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्री होते हैं, इनमें कैबिनेट मंत्री सबसे अधिक ताकतवर होता है.

कैबिनेट मंत्री
इस तरह के मंत्री सीधे पीएम को रिपोर्ट करते हैं. जिन मंत्रालय को दिया जाता है कि उसकी पूरी जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्रियों की होती है. इन्हें एक से अधिक विभाग संभालने की भी जिम्मेदारी मिल सकती है.इन्हें बैठकों में शामिल होना भी आवश्यक होता है. बता दें कि सरकार महत्वपूर्ण फैसले कैबिनेट की बैठक में लेती है.

राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार
इनकी भी सीधी रिपोर्टिंग पीएम को ही होती है. इनके पास अपना मंत्रालय होता है. इन्हें कैबिनेट मंत्रियों को रिपोर्ट करने की जरूरत नहीं होती. साथ ही ये कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं.

राज्य मंत्री
कैबिनेट मंत्रियों की मदद के लिए इस पद को सृजित किया गया. ये कैबिनेट मंत्रियों की मदद करते हैं. एक मंत्रालय में एक से अधिक राज्य मंत्री हो सकते हैं, खास बात यह है कि ये भी कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते.

वेतन और भत्ते
लोकसभा के बाकी सदस्यों की तरह की मंत्रियों को भी वेतन और भत्ते मिलते हैं. हालांकि उनमें थोड़ा फर्क होता है. सैलरी एक्ट के तहत सांसदों को हर महीने एक लाख बेसिक सैलरी, 70 हजार निर्वाचन भत्ता, 60 हजार रुपए ऑफिस खर्च मिलते हैं, इसके साथ संसद सत्र चलने पर 2 हजार डेली भत्ता भी मिलता है.अगर बात पीएम और मंत्रियों की करें तो उन्हें सत्कार भत्ता मिलता है, जैसे पीएम को 3 हजार, कैबिनेट मंत्रियों को 2 हजार, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को 1 हजार और राज्य मंत्रियों को 600 रुपए मिलता है.इसका अर्थ यह है कि हर महीने एक सांसद की सैलरी दो लाख तीस हजार के करीब होती है. पीएम को 2.33 लाख, कैबिनेट मंत्री को 2.32 लाख, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को 2.31 लाख और राज्य मंत्री को दो लाख तीस हजार छह सौ रुपए मिलते हैं. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर सभी यानी पीएम और मंत्रियों को टैक्स देना होता है हालांकि टैक्स बेसिक सैलरी पर लगता है.

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