ट्रंप की नई वैश्विक व्यवस्था: जयशंकर ने बताया- अब भारत की बदल रही विदेश नीति
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ट्रंप की नई वैश्विक व्यवस्था: जयशंकर ने बताया- 'अब भारत की बदल रही विदेश नीति'

S Jaishankar ने कहा कि आज की दुनिया को एक मजबूत और स्पष्ट वैश्विक व्यवस्था की जरूरत है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह "अराजक" हो जाएगी.


old liberal rules-based order: डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में वापसी के बाद पुराने "लिबरल रूल्स-बेस्ड ऑर्डर" पर भारी दबाव बढ़ गया है. इसको लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि यह बदलाव बहुत समय पहले होना चाहिए था. दुनिया यह देखकर चकित है कि ट्रंप वही कर रहे हैं, जो उन्होंने वादा किया था.

नई वैश्विक व्यवस्था की जरूरत

जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया को एक मजबूत और स्पष्ट वैश्विक व्यवस्था की जरूरत है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह "अराजक" हो जाएगी. उनका मानना है कि दुनिया को अब एक ऐसी व्यवस्था चाहिए, जो वर्तमान वैश्विक स्थिति को सही तरीके से प्रदर्शित करे, न कि वह व्यवस्था जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिम के पक्ष में बनाई गई थी. जयशंकर ने यह भी कहा कि पुराने वैश्विक आदेश के सकारात्मक पहलुओं को "अति-मूल्यांकन" किया गया है.

अमेरिका और भारत के रिश्ते

भारत पहले सोवियत संघ और फिर रूस के साथ करीबी संबंध बनाए रखता था, अब अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को मजबूत कर रहा है. यह बंधन ट्रंप और मोदी के राष्ट्रीयतावादी नजरिए के साथ और भी पुख्ता हो सकता है. हालांकि, ट्रंप ने लगातार भारत को टैरिफ उल्लंघन करने वाला बताया है, यहां तक कि मोदी के व्हाइट हाउस दौरे के दौरान भी. इस संबंध में जयशंकर का कहना था कि उन्हें पूरा यकीन है कि दोनों देशों के बीच एक व्यापार समझौता जल्द ही हो सकता है, भले ही वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच कुछ "मुद्दे" मौजूद हों. ट्रंप एक मजबूत राष्ट्रीयतावादी हैं. लेकिन वह कई वैश्विक मुद्दों पर वास्तविकवादी भी हैं.

भारत का रूस के साथ रुख

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख पश्चिमी देशों के लिए निराशाजनक रहा है. भारत ने रूस से तेल खरीदने का सिलसिला जारी रखा है और अब तक व्लादिमीर पुतिन के युद्ध की निंदा करने से बचा है. जयशंकर ने इस पर स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत का अपना नजरिया है और वह अपनी पुरानी रूस-मॉस्को संबंधों को "छोड़ नहीं सकता. उन्होंने यह भी कहा कि लोग अक्सर सिद्धांतों को लेकर ज्यादा मुद्दा बना देते हैं.

चीन के साथ भारत के रिश्ते

हालांकि, रूस ने हाल के वर्षों में चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं. जयशंकर का मानना है कि रूस और भारत के बीच रिश्ते अब भी "स्थिर" हैं. वह इसे एक दीर्घकालिक नजरिए से देखते हैं, भले ही मॉस्को के चीन और पश्चिम के साथ रिश्ते बदल रहे हों. भारत और चीन के रिश्ते, विशेष रूप से सीमा विवादों के कारण, "इतने अच्छे नहीं रहे" हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी नीति तैयार रखेगा, अगर ट्रंप चीन के साथ कोई समझौता करते हैं.

जयशंकर का नजरिया

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश करने से पहले कोई संकोच किया था तो विदेश मंत्री ने कहा कि यह उनके लिए "कोई मुद्दा नहीं था". वह भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के साथ "बहुत सहज" थे. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता ने उन्हें “राष्ट्रवाद” की भावना दी थी. इसलिए पार्टी की विचारधारा उनके लिए किसी तरह की चुनौती नहीं थी.

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