यूएस से डिपोर्टेशन नई बात नहीं, राज्यसभा में विदेश मंत्री ने कांग्रेस को घेरा
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यूएस से डिपोर्टेशन नई बात नहीं, राज्यसभा में विदेश मंत्री ने कांग्रेस को घेरा

राज्य सभा में जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका से डिपोर्टेशन नई बात नहीं है।


Dr S Jaishankar on Deportation: अमेरिका ने भेजे गए 104 भारतीयों के मुद्दे पर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ। संसद परिसर में विपक्ष के सांसदों ने हाथ में हथकड़ी लगाकर सांकेतिक तौर पर विरोध कर रहे थे कि किस तरह से अमानवीय तरीके से भारतीयों को अमेरिका ने भेजा। कांग्रेस का कहना था कि ऐसा लग रहा है कि वो लोग हार्ड कोर क्रिमिनल थे। अमेरिका के साथ दोस्ती की बात करने वाली, बेहतर रिश्तों की बात करने वाली मोदी सरकार क्या कर रही है। विपक्ष के आरोपों पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने जवाब देते हुए कि डिपोर्ट करने का मामला नया नहीं है, यह पहले से होता आया है, जो लोग अवैध तरीके से दूसरे देश में होते हैं उनके साथ ऐसा बर्ताव होता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि 2012 में भी अमेरिका से डिपोर्टेशन हुआ था। इसके अलावा उन्होंने 2009 से आंकड़ा भी पेश किया। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "अमेरिका द्वारा निर्वासन का आयोजन और क्रियान्वयन आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। ICE द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विमान द्वारा निर्वासन का SOP जो 2012 से प्रभावी है, संयम बरतने का प्रावधान करता है। हमें ICE द्वारा सूचित किया गया है कि महिलाओं और बच्चों को नहीं रोका जाता है।

जयशंकर की स्पीच की बड़ी बातें

  • अमेरिका से 104 भारतीयों को वापस भेजा गया
  • अवैध प्रवास के मुद्दे पर सभी देश जिम्मेदारी लें और कार्रवाई करें
  • डिपोर्ट करने की प्रक्रिया नई बात नहीं है,पहले से इसे अमल में लाया जा रहा है।
  • अमेरिकी एजेंसी आईसीआई महिला और बच्चों को डिपोर्टेशन के दौरान बांधकर नहीं रखती
  • 2012 से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत ही फ्लाइट में बांधकर लाने की व्यवस्था
  • टॉयलेट जाने के वक्त रेस्ट्रेंट्स हटा लिए जाते हैं
  • अमेरिकी सरकार ने लगातार बात हो रही है को डिपोर्ट लोगों के साथ मानवीय व्यवहार के साथ पेश आएं


अवैध अप्रवासी पर सभी देश लें एक्शन

यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाए।दक्षिण अमेरिकी देश के लिए पहली उड़ानें भी अमेरिकी सैन्य विमान ही थीं, जिन पर भी निर्वासित लोगों को बेड़ियाँ लगाई गई थीं, जिसके कारण कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने अपने देश में ऐसी किसी भी और उड़ान को उतरने देने से इनकार कर दिया। अमेरिका ने कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर जवाब दिया, जो तब अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए अपनी वायु सेना से विमान भेजने के लिए सहमत हो गया।

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