अनिल अंबानी की 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त, मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की कार्रवाई
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अनिल अंबानी से अगस्त में ईडी ने इस मामले में पूछताछ की थी, जब एजेंसी ने 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 ठिकानों पर तलाशी ली थी। (फाइल फोटो)

अनिल अंबानी की 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त, मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए के तहत चार आदेश जारी किए हैं, जिनके जरिए अनिल अंबानी के मुंबई स्थित आवास सहित दिल्ली, नोएडा, मुंबई, पुणे और अन्य शहरों में फैली वाणिज्यिक संपत्तियों को जब्त किया गया है।


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़ी 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया है। यह कार्रवाई उनकी ग्रुप कंपनियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत की गई है। सोमवार (3 नवंबर) को पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।

ईडी ने जारी किए चार पीएमएलए आदेश

संघीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत चार अस्थायी आदेश जारी किए हैं, जिनके जरिए 66 वर्षीय उद्योगपति के मुंबई के पाली हिल स्थित आवास सहित अन्य आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों को जब्त किया गया है। इन संपत्तियों में दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर स्थित रिलायंस सेंटर की जमीन और दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और पूर्वी गोदावरी में फैली अन्य संपत्तियाँ शामिल हैं। कुल मिलाकर जब्त की गई संपत्तियों की कीमत लगभग 3,084 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

मनी लॉन्ड्रिंग केस क्या है

यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) द्वारा जुटाए गए सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने आरएचएफएल के उपकरणों में 2,965 करोड़ रुपये और आरसीएफएल के उपकरणों में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

दिसंबर 2019 तक ये निवेश “नॉन-परफॉर्मिंग” हो गए थे — जिसमें आरएचएफएल के लिए 1,353.50 करोड़ रुपये और आरसीएफएल के लिए 1,984 करोड़ रुपये बकाया थे, ऐसा ईडी का कहना है।

17,000 करोड़ रुपये के लोन की जांच

अनिल अंबानी के खिलाफ की गई यह कार्रवाई कथित वित्तीय अनियमितताओं और उनकी कई ग्रुप कंपनियों (जैसे रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर) द्वारा 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन की "ग़लत दिशा में इस्तेमाल" से जुड़ी है।

ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी (FIR) से शुरू हुई थी।

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