
गुरुग्राम की जमीन डील: महीनों में करोड़ों का मुनाफा, ED रॉबर्ट वाड्रा से कर रही पूछताछ
Robert Vadra ED inquiry: रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक पहुंच का गलत इस्तेमाल कर जमीन खरीद-बिक्री से करोड़ों का मुनाफा कमाया. अब इस मामले की जांच ED और पुलिस कर रही हैं.
Robert Vadra land deal: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर खबरों में हैं. इस बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ के चलते. यह मामला हरियाणा के गुरुग्राम में जमीन खरीद और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है. 56 साल के रॉबर्ट वाड्रा गुरुवार को दिल्ली के सुजान सिंह पार्क स्थित अपने घर से पैदल चलकर करीब 2 किलोमीटर दूर एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर ईडी के दफ्तर पहुंचे.
ईडी दफ्तर में पूछताछ से पहले मीडिया से बात करते हुए वाड्रा ने कहा कि मैं बेकसूर हूं. यह सब राजनीति से प्रेरित बदले की कार्रवाई है. जब भी मैं अल्पसंख्यकों की बात करता हूं, मुझे रोकने की कोशिश होती है. उन्होंने कहा कि वह जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करेंगे और पहले भी कर चुके हैं.
मामला
यह मामला साल 2008 का है. उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. फरवरी 2008 में, वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव (सेक्टर 83) में 3.5 एकड़ जमीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी. आरोप है कि इस जमीन का म्यूटेशन (नामांतरण) बहुत तेजी से सिर्फ कुछ घंटों में करवा लिया गया. मार्च 2008 में हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी बनाने का लाइसेंस जारी किया. इसके बाद जून 2008 में वाड्रा की कंपनी ने यह जमीन 58 करोड़ रुपये में DLF को बेच दी.
मुनाफा
शिकायतकर्ता सुरेंद्र शर्मा का आरोप है कि वाड्रा की कंपनी ने इस सौदे से लगभग 50 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. 2014 में हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने. सितंबर 2018 में गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में वाड्रा, हुड्डा, DLF और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए.
FIR में कौन-कौन से कानून?
इस मामले में वाड्रा और हुड्डा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420– धोखाधड़ी, धारा 120B– आपराधिक साजिश, धारा 467, 468, 471– जालसाजी और नकली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 लगाई गई हैं.
जांच आयोग
2015 में बीजेपी सरकार ने इस तरह के "संदिग्ध" सौदों की जांच के लिए जस्टिस एस.एन. ढींगरा आयोग बनाया। आयोग ने गुरुग्राम के चार गांवों (शिकोहपुर, सिही, खेड़की दौला, सिकंदरपुर बड़ा) में जमीन आवंटन की जांच की. हालांकि, रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. क्योंकि हुड्डा ने अदालत में इसे चुनौती दी थी.
आईएएस अशोक खेमका
2012 में आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने वाड्रा और DLF के बीच हुई जमीन डील का म्यूटेशन रद्द कर दिया था. उन्होंने कहा था कि यह सौदा फर्जी है और वाड्रा ने नकली दस्तावेजों का सहारा लिया है. खेमका का तबादला कर दिया गया था, जिससे यह मामला और चर्चा में आ गया.