इलेक्टोरल बांड के मामले में FIR दर्ज; कांग्रेस ने माँगा निर्मला सीतारमन का इस्तीफा
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इलेक्टोरल बांड के मामले में FIR दर्ज; कांग्रेस ने माँगा निर्मला सीतारमन का इस्तीफा

विपक्षी दल ने चुनावी बांड योजना की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की अपनी मांग दोहराई


FIR Against Nirmala Sitharaman : चुनावी बांड योजना ( जिसे रद्द किया जा चुका है ) से संबंधित शिकायत पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ कर्नाटक में मामला दर्ज होने के बाद, कांग्रेस ने रविवार (29 सितंबर) को उनके इस्तीफे की मांग की और अदालतों की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की. वहीँ कांग्रेस के प्रवक्ता व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने यहाँ तक कहा कि भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत बुलाया जाएगा और गिरफ्तार भी किया जाएगा.


कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "सभी एजेंसियां, सभी आधिकारिक अंग बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि जांच में कैसे आगे बढ़ना है, क्योंकि वे पिछले 11 वर्षों में बड़ी संख्या में राजनीतिक विरोधियों (भाजपा के) के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं. उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है कि कैसे आगे बढ़ना है. हम निश्चित रूप से अदालतों के नियंत्रण में एक निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अंततः इसकी निगरानी सर्वोच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय की एसआईटी द्वारा की जाए."
उन्होंने कहा, "समय की पहली मांग यह है कि इस अदालती आदेश द्वारा शुरू की गई कानूनी प्रक्रिया अपना काम करे और इसकी निगरानी उच्च न्यायालय और अंततः सर्वोच्च न्यायालय दोनों द्वारा की जाए, ताकि किसी भी तरह का हस्तक्षेप, विकृति या अधीनता को रोका जा सके."
विपक्षी दल ने चुनावी बांड योजना की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की अपनी मांग दोहराई.

रिश्वत के चार तरीके प्रीपेड, पोस्टपेड, छपे के बाद और फर्जी कंपनी
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि चुनावी बांड की साजिश के जरिए धन उगाही के लिए चार तरीके अपनाए गए - प्रीपेड रिश्वत, पोस्टपेड रिश्वत, छापे के बाद रिश्वत और फर्जी कंपनियों के जरिए. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को राजनीतिक, कानूनी और नैतिक आधार पर तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वो "दोषी" हैं.

'लोकतंत्र को कमजोर कर रही है भाजपा'
जयराम रमेश ने कहा कि प्राथमिकी अदालत के आदेश के बाद दर्ज की गई और कांग्रेस का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चुनावी बांड योजना की एसआईटी के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग कर रही है और वह इस मांग को दोहराती है. सिंघवी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर "लोकतंत्र को कमजोर करने" का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "वित्त मंत्री अकेले ऐसा नहीं कर सकतीं. हम जानते हैं कि (सरकार में) नंबर एक और नंबर दो कौन है और यह किसके निर्देश पर किया गया." सिंघवी ने इसे "ईबीएस - जबरन वसूली करने वाली भाजपा योजना" करार देते हुए कहा, "बड़ा मुद्दा समान अवसर उपलब्ध कराना है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. यह हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली पर हमला है."

8,000 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा पहुंचाने का आरोप
अब समाप्त हो चुकी चुनावी बांड योजना से संबंधित शिकायत के बाद बेंगलुरु की एक अदालत के निर्देश पर शनिवार को सीतारमण और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. पुलिस के अनुसार, विशेष अदालत के आदेश के आधार पर सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों और राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीवाई विजयेंद्र और पार्टी नेता नलिन कुमार कतील का नाम भी एफआईआर में दर्ज है.
जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने पुलिस को शिकायत सौंपी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने "चुनावी बांड की आड़ में जबरन वसूली की" और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया. शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया है कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की. शिकायत में कहा गया है, "चुनावी बांड की आड़ में पूरा जबरन वसूली का रैकेट विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है." सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार तथा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.



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