सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड रद्द करने के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका खारिज की
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं दिखती
Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड योजना को रद्द करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने इस फैसले को लेकर दायर की गयी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया है.
15 फरवरी को SC की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बांड स्कीम को रद्द करते हुए SBI से कहा था कि वो 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक के इलेक्टोरल बांड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे. कोर्ट ने कहा था कि वोटर को राजनीतिक दल की फंडिंग के बारे में जानकारी रखने का हक़ है.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड को देखने से कोई त्रुटि नजर नहीं आती. शीर्ष अदालत ने समीक्षा याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने की प्रार्थना भी खारिज कर दी.
पीठ ने 25 सितंबर के अपने आदेश में कहा कि "समीक्षा याचिकाओं का अवलोकन करने के बाद, रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नजर नहीं आती. सर्वोच्च न्यायालय नियम 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा का कोई मामला नहीं है. इसलिए, समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं." इस मामले का आदेश आज 5 अक्टूबर को अपलोड किया गया.
अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा और अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में तर्क दिया गया था कि योजना से संबंधित मामला विशेष रूप से विधायी और कार्यकारी नीति के क्षेत्राधिकार में आता है.
ज्ञात रहे कि अदालत ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में वित्त अधिनियम, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, कंपनी अधिनियम और आयकर अधिनियम में किए गए 2018 संशोधनों को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के स्रोत के बारे में जानने का मौलिक अधिकार है. इस योजना ने उस अधिकार का उल्लंघन किया.
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