Exclusive : ड्रीमलाइनर क्रैश; स्टेबलाइज़र फॉल्ट ने पहले भी दिया था संकेत
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Exclusive : ड्रीमलाइनर क्रैश; स्टेबलाइज़र फॉल्ट ने पहले भी दिया था संकेत

जांच में खुलासा क्रैश से पहले विमान में कई ‘एक्टिव फॉल्ट’ दर्ज थे; स्टेबलाइज़र, फायर इनर्टर और कोर नेटवर्क सभी में गड़बड़ी के संकेत।


Air India AI-171 Crash : अहमदाबाद एयरपोर्ट पर क्रैश हुए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर VT-ANB को लेकर द फ़ेडरल की जांच के चौथे भाग में एक नया और गंभीर खुलासा सामने आया है।

रिपोर्ट बताती है कि जिस विमान (AI-171) ने उसी दिन 260 लोगों की जान ले ली, उसी विमान ने कुछ घंटे पहले अहमदाबाद में “हार्ड लैंडिंग” की थी। और यह सिर्फ एक छोटा-सा सेंसर फॉल्ट नहीं था, बल्कि विमान की पूंछ में लगे स्टेबलाइज़र मोटर यूनिट में भी खराबी थी, जिसका जिक्र AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) की रिपोर्ट में नहीं किया गया।

पहली उड़ान में क्या हुआ था? - AI 423 (दिल्ली–अहमदाबाद)

12 जून 2025 की सुबह, फ्लाइट AI 423 अहमदाबाद में उतरी। लैंडिंग से 10-15 मिनट पहले पायलट ने घोषणा की कि आगे थोड़ा टर्बुलेंस हो सकता है। लेकिन लैंडिंग के बाद सामने आया कि टर्बुलेंस नहीं, बल्कि स्टेबलाइज़र-ट्रिम सेंसर की खराबी के कारण विमान का नियंत्रण बिगड़ गया था, जिसके चलते हार्ड टचडाउन हुआ।
यह सेंसर विमान की पूंछ पर लगा होता है और पायलट व कंप्यूटर्स को बताता है कि विमान किस पिच पर है। अगर यह डेटा गलत मिलता है, तो विमान की लैंडिंग और टेकऑफ अस्थिर हो जाती है।

AAIB ने केवल सेंसर फॉल्ट बताया, पर सच उससे बड़ा था

AAIB ने अपनी रिपोर्ट में केवल एक लाइन लिखी “AI 423 के क्रू ने ‘STAB POS XDCR’ सेंसर फॉल्ट का PDR दर्ज किया।”
लेकिन द फ़ेडरल की जांच में Aircraft Health Management (AHM) की वह रिपोर्ट सामने आई है जो Boeing को 9:48 AM पर भेजी गई थी।
इस रिपोर्ट में साफ लिखा था :

केवल स्टेबलाइज़र सेंसर खराब नहीं था
बल्कि पूरी राइट स्टेबलाइज़र मोटर के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल बॉक्स (EMCU) में फॉल्ट था

दोनों पार्ट्स को बदला गया। इसके बाद 12:10 PM पर विमान को फिर से उड़ान के लिए क्लियर कर दिया गया।

यानी, विमान में पूंछ की स्थिरता नियंत्रित करने वाला मुख्य सिस्टम दोबारा बदला गया, मात्र कुछ घंटे बाद वह विमान 260 लोगों को लेकर उड़ान भरने वाला था।

लेकिन समस्या सिर्फ मोटर या सेंसर की नहीं थी… पावर सिस्टम भी बिगड़ रहा था

जांच बताती है कि विमान के इलेक्ट्रिकल सिस्टम का L2 पावर चैनल उस पूरे दिन अस्थिर था।

और इसी L2 लाइन पर कई महत्वपूर्ण सिस्टम निर्भर थे:

राइट स्टेबलाइज़र मोटर

स्टेबलाइज़र सेंसर

राइट हाइड्रोलिक्स सिस्टम

नाइट्रोजन जनरेशन सिस्टम (NGS—फ्यूल टैंक को आग से बचाने वाला सिस्टम)

दो दिन पहले यानी 10 जून को NGS पहले ही खराब हो चुका था, जिसे एक उच्च-जोखिम (CAT A) फॉल्ट घोषित किया गया था।
यानी 24 घंटे के अंदर यह ठीक किया जाना चाहिए था।

लेकिन 12 जून को—दुर्घटना वाले दिन—स्टेबलाइज़र मोटर और सेंसर भी उसी पावर चैनल के कारण खराब हो गए।

यह साफ संकेत है कि विमान की मुख्य इलेक्ट्रिकल नसों में (core network) समस्या धीरे-धीरे बढ़ रही थी।

मुख्य नेटवर्क में 3 दिन पहले ही दर्ज हुआ था मध्यम-जोखिम फॉल्ट

9 जून को विमान के “कोर नेटवर्क” में CAT C फॉल्ट दर्ज हुआ।

यह वही नेटवर्क है जो:

इंजन कंप्यूटर्स (FADEC)

उड़ान नियंत्रण

फ्यूल मैनेजमेंट

और 20+ महत्वपूर्ण सिस्टम्स

को लगातार डेटा देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार जब यह नेटवर्क गिरता है, तो फॉल्ट एक हिस्से में नहीं रुकता। यह इंजन के थ्रस्ट और फ्यूल कंट्रोल तक पहुंच सकता है। यानी उड़ान के दौरान अचानक इंजन गलत प्रतिक्रिया दे सकता है।
इसी कारण AI-171 ने टेकऑफ से 15 मिनट पहले कई इलेक्ट्रिकल फॉल्ट दिखाने शुरू कर दिए

दोपहर 1:23 बजे
टेकऑफ से 15 मिनट पहले
AI 171 के कॉकपिट में कई इलेक्ट्रिकल चेतावनियाँ एक साथ चमकने लगीं।

यह एक बड़ा संकेत था कि विमान के इलेक्ट्रिकल नेटवर्क में गंभीर समस्या है।
लेकिन विमान उड़ान के लिए छोड़ दिया गया।

कुछ मिनट बाद विमान हवा में उठा, और थोड़ी देर बाद भारत की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में से एक हो गई।

अगर फ्यूल टैंक का NGS सिस्टम काम कर रहा होता…

विशेषज्ञों का कहना है कि NGS (Nitrogen Generation System) फ्यूल टैंक में ऑक्सीजन को कम करके आग लगने के खतरे को रोकता है। यह पहले ही खराब था और दो दिन से निष्क्रिय था।

इसका मतलब ये हुआ कि विमान जैसे ही जमीन से टकराया, फ्यूल टैंक में मौजूद ऑक्सीजन-समृद्ध गैस ने तुरंत आग पकड़ ली। अगर NGS चल रहा होता, आग कम होती और कुछ यात्रियों के बचने की संभावना हो सकती थी।

बड़े सवाल – जिन्हें Boeing, DGCA, Air India ने अभी तक जवाब नहीं दिया

जब कोर नेटवर्क में फॉल्ट पहले ही दर्ज था, विमान को क्यों उड़ाया गया?

जब स्टेबलाइज़र मोटर और सेंसर नई बदले गए थे, क्या विमान को तुरंत लंबी उड़ान पर भेजना सुरक्षित था?

जब NGS CAT A फॉल्ट में था, क्या नियमों के अनुसार इसे ठीक किए बिना विमान को उड़ने की अनुमति देना गलत था?

क्या Boeing के MEL कैटेगरी नियमों की समीक्षा होनी चाहिए?

क्या यह हादसा केवल सेंसर फॉल्ट नहीं, बल्कि पूरे इलेक्ट्रिकल सिस्टम की श्रृंखलाबद्ध विफलता के कारण हुआ?
यह रिपोर्ट संकेत देती है कि AI-171 का हादसा एक सिंगल-फॉल्ट दुर्घटना नहीं थी, बल्कि लगातार बिगड़ रहे इलेक्ट्रिकल नेटवर्क, पावर चैनल की अस्थिरता, और लापरवाह निर्णयों का परिणाम था। AAIB की अंतिम रिपोर्ट अभी बाकी है, लेकिन अब तक के तकनीकी दस्तावेज और Boeing के सिस्टम की संरचना एक ही दिशा में इशारा करती है कि विमान अपने अंदर धीरे-धीरे जलती हुई एक इलेक्ट्रिकल बीमारी लिए उड़ान भर रहा था।

(डिस्क्लेमर: AAIB ने अभी तक AI-171 क्रैश पर अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट जारी नहीं की है। यहां दिखाए गए सभी टेक्निकल सिनेरियो शुरुआती जानकारी पर आधारित हैं और अभी भी हाइपोथीसिस हैं।)


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