लाखों कर्मचारियों की हसरत पूरी ! जानें- क्या है OPS, NPS और UPS में फर्क
केंद्र सरकार ने अब एनपीएस के साथ ही पेंशन की एक और व्यवस्था का ऐलान किया है जिसे यूनिफाइड पेंशन स्कीम नाम दिया गया है। यहां पर ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस के बीच फर्क बताएंगे।
Unified Pension Scheme: लाखों कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने बड़ी सौगात दी। सरकार ने पेंशन का एक और व्यवस्था यूपीएस को मंजूरी दे दी। यूपीएस को एनपीएस के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है। ज्यादातर कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने एक तरह से ओपीएस का नए रूप में पेश किया है। यह योजना अगले साल अप्रैल से लागू होगी। यहां पर हम आपको ओल्ड पेंशन स्कीम, न्यू पेंशन स्कीम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम के बारे में एक एक कर बताएंगे। बता दें कि 21 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह न्यू पेंशन स्कीम को अमल में लाया। लेकिन इसे लेकर केंद्र या राज्य कर्मचारी कभी खुश नहीं रहे। एनपीएस के आलोचक कहते रहे हैं कि जब बुढ़ापे में पैसों की सख्त जरूरत होती है उसके लिए सरकार संवेदनहीन है।
स्कीम का नाम | क्या देता है कर्मचारी | क्या देती है सरकार | क्या मिलता है |
ओपीएस | कर्मचारी का योगदान कुछ भी नहीं | इसमें सिर्फ सरकार का योगदान | कर्मचारी को अंतिम वेतन का 50 फीसद टैक्स फ्री |
एनपीएस | कर्मचारी के मूल वेतन और डीए का 10 फीसद | सरकारी अंशदान 14 फीसद | रिटायरमेंट के दौरान 60 फीसद टैक्स फ्री निकासी |
यूपीएस | इसमें कर्मचारी को मूल वेतन का 10 फीसद देना होगा | सरकारी अंशदान 18.5 फीसद | 25 साल की सेवा के बाद औसत मूल वेतन का 50 फीसद |
न्यू पेंशन स्कीम
इस स्कीम को साल 2004 में लांच किया गया था। यह ओल्ड पेंशन की विकल्प की तरह पेश किया गया। इस व्यवस्था को लागू भी किया गया लेकिन विरोध भी हो रहा है। इसमें टीयर 1 और टीयर 2 की व्यवस्था थी।टीयर 1 मैंडेटरी है और रिटायरमेंट पर टैक्स का लाभ मिलता है, टीयर 2 वैकल्पिक है इसमें कर्मचारी पेंशन की रकम निकाल सकता है लेकिन उसे टैक्स लाभ नहीं मिलता है। कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद 60 फीसद रकम एकमुश्त निकाल सकते हैं और बाकी रकम का इस्तेमाल रेगुलर पेंशन के भुगतान के लिए एन्यूटी खरीद सकते हैं। बता दें कि इसी वजह से एनपीएस का विरोध हो रहा था।
पेंशन का पूरा खर्च केंद्र या राज्य सरकारें उठाती थीं। इसमें कर्मचारी का अंशदान नहीं होता था। इसके लिए वो ही कर्मचारी पात्र थे जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 से पहले हुई थी। पेंशन को महंगाई भत्ते के साथ लिंक किया गया है। ओपीएस में टैक्स नहीं देना होता है जबकि एनपीएस और यूपीएस में टैक्स देना होता है।
क्या है बुनियादी फर्क
जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में ऐसा नहीं था। और इसी वजह से वह सरकारों के लिए बोझ बन गई थी। जिसे देखते हुए साल 2004 में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार NPS लेकर आई थी। लेकिन NPS में सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन की गारंटी नहीं मिलती थी। साथ ही फैमिली पेंशन की व्यवस्था सीधे तौर पर नहीं थी। वह एन्युटी आधारित थी। और उसमें UPS 60 फीसदी पेंशन की गारंटी नहीं थी। इसी तरह रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त भुगतान की सुविधा को भी खत्म कर दिया गया था। तो कुल मिलाकर मोदी सरकार ने 20 साल बाद NPS की विदाई कर दी है। और अगर देखा जाय तो OPS के 80-90 फीसदी प्रावधानों को लागू कर दिया है। और उसने OPS के जिन्न को बोतल में बंद कर दिया है। जिसका असर वह बड़े राजनीतिक फायदे के रूप में देख सकती है