Fertiliser Crisis Shortage
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खरीफ सीजन में खाद संकट, सरकार बोली- कमी नहीं, आपूर्ति पर्याप्त, किसान नेता बोले- सब्सिडी घटाना है मंशा

सरकार दावा कर रही कि खाद की कोई कमी नहीं है लेकिन इसकी कमी की कहानी केवल मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है. मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश या हरियाणा, बिहार या फिर तेलंगाना सभी जगह किसानों को यूरिया के कमी का सामना करना पड़ रहा है.


मध्यप्रदेश के सतना में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसलिए काले झंडे दिखाए क्योंकि प्रदेश में गंभीर खाद संकट की शिकायत हर तरफ से आ रही है. खाद की कमी को लेकर कृषि मंत्री और स्थानीय कांग्रेस के नेताओं के बीच बहस भी हुई. इन लोगों ने खाद की उपलब्धता बढ़ाने को लेकर शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन भी सौंपा.

कृषि मंत्री ने कहा, उर्वरक मंत्रालय लगातार राज्यों की मांग के हिसाब से खाद की आपूर्ति कर रहा है. उन्होंने आश्वासन दिया कि खाद की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.

मांग के मुताबिक यूरिया की सप्लाई नहीं

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किसानों को खाद न मिलने और खाद मांगने पर लाठी बरसाने का आरोप लगाया है. यूरिया की कमी की कहानी केवल मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है. मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश या हरियाणा, बिहार या फिर तेलंगाना सभी जगह की एक ही कहानी है. खेतों में खरीफ फसल खड़ी है. किसानों को फसल के बेहतर उपज के लिए यूरिया चाहिए. लेकिन मांग के मुताबिक यूरिया की सप्लाई नहीं की जा रही है. किसान नेता और राष्ट्रीय किसान संगठन मध्य प्रदेश के प्रवक्ता प्रमजीत सिंह ने द फेडरल देश को बताया, किसानों को इस खरीफ सीजन में बड़े पैमाने पर यूरिया के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

किसान नेता बोले- सब्सिडी का बोझ घटाने की मंशा

प्रमजीत सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, यूरिया की कमी को आर्टिफिशियली भी पैदा किया जा रहा है जिससे केंद्र सरकार पर फर्टिलाइजर सब्सिडी के बोझ को कम किया जा सके. साथ ही ये भी मकसद है कि यूरिया की कमी करने से नैनो यूरिया की मांग बढ़ जाएगी. जबकि किसान नैनो यूरिया खरीदना नहीं चाहता. प्रमजीत सिंह ने कहा, प्रशासन के लोग ही कह रहे हैं कि खरीफ फसल का यूरिया का आना खत्म हो चुका है और अब जो यूरिया आ रहा वो रबी फसल के लिए सप्लाई किया जा रहा है. प्रमजीत सिंह ने बताया कि यूरिया की कमी की हाल ऐसी है कि मुख्यमंत्री और जजों के दफ्तर से यूरिया देने के लिए पैरवी वाले प्रशासन के लोगों को फोन आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसान अपने इन मुद्दों को लेकर 5 अक्टूबर के बाद प्रदेश में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.

सरकार ने खाद की कमी से किया इंकार

देशभर में खाद की कमी से किसान परेशान हैं लेकिन 22 अगस्त को डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर ने देश में खाद की स्थिति को लेकर एक प्रेस नोट जारी कर कहा, "इस सीजन में अब तक खाद की आपूर्ति संतोषजनक रही है. 20 अगस्त 2025 तक पिछले साल की तुलना में यूरिया की बिक्री 13 लाख मीट्रिक टन (LMT) से अधिक बढ़ी है. इसके बावजूद, उर्वरक विभाग ने घरेलू उत्पादन बढ़ाकर और वैश्विक टेंडर के जरिए खरीदारी कर पूरे देश में यूरिया की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की सप्लाई सुनिश्चित की है."

सरकार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को राहत देने के लिए भारत सरकार भारी सब्सिडी दे रही है. इसी वजह से यूरिया अब भी किसानों को तयशुदा एमआरपी 242 प्रति 45 किलो बोरी (नीम कोटिंग और टैक्स अलग) पर उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, DAP खाद किसानों को 1350 रुपये प्रति बोरी पर मिले, इसके लिए सरकार ने विशेष पैकेज लागू किया है. सरकार ने कहा, किसानों को समय पर और समान रूप से खाद उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. यह कृषि की स्थिरता, किसानों के कल्याण और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पर उसके अटूट फोकस को दर्शाता है.

जरूरत के समय खाद की उपलब्धता नहीं

लेकिन हरियाणा से आने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने द फेडरल देश को बताया कि, हरियाणा में खरीफ फसल के बुआई के दौरान किसानों को यूरिया और डीएपी के संकट का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा, जब किसानों को फसल के लिए खाद की जरूरत होती है तब उसे खाद उपलब्ध कराया जाना चाहिए. अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, जब बुखार आज है तो बाद में दवा देने का क्या फायदा. उन्होंने बताया कि चीन से सप्लाई बाधित होने का भी खामियाजा उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा, इस क्षेत्र में भारत का आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है.

खाद की कालाबाजारी से भी बढ़ा संकट

खाद की कालाबाजारी की भी शिकायतें मिली हैं तो केंद्र सरकार ने बताया कि राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि वे कालाबाज़ारी, जमाखोरी, ज़्यादा कीमत वसूलने और खाद की अवैध बिक्री रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करें. अप्रैल 2025 से अब तक पूरे देश में 1,99,581 निरीक्षण या छापे मारे गए हैं, 7,927 मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, 3,623 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए हैं और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 311 एफआईआर दर्ज की गई हैं.

सरकार का दावा 10 सालों में बढ़ा उत्पादन

मोदी सरकार ये दावा करती है कि पिछले 10 सालों में भारत में खाद उत्पादन में बड़ा इजाफा हुआ है. 2013-14 में जहाँ यूरिया उत्पादन 227 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 307 लाख मीट्रिक टन हो गया, यानी 35% का उछाल. इसी तरह, DAP और NPK खाद का उत्पादन 110 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर लगभग 159 लाख मीट्रिक टन हो गया है, जो 44% ज्यादा है. सरकार के मुताबिक, मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात ने खाद की सप्लाई को प्रभावित किया है. रेड सी संकट के कारण जहाज़ों को लंबा रास्ता अपनाना पड़ रहा है, जिससे सफर 6,500 किमी ज्यादा हो गया है और खासकर डीएपी की सप्लाई देर से पहुँच रही है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-ईरान युद्ध की वजह से दुनिया भर में खाद की कीमतें भी बहुत बढ़ गई है.

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