एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी, शंभू बॉर्डर से राजधानी की तरफ बढ़ेगा 101 किसानों का जत्था
farmer protest: किसानों का एक जत्था आज शंभू बॉर्डर से दिल्ली की तरफ एक बार फिर कूच करने की कोशिश करेगा.
farmers march: आंदोलनकारी किसान (agitating farmers) और केंद्र सरकार के बीच अब तक कोई बात नहीं बन पाई है. यही वजह है कि 101 किसानों का एक जत्था आज यानी कि 14 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की तरफ एक बार फिर कूच (farmers march) करने की कोशिश करेगा. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले होने वाले इस कूच की वजह से शंभू बॉर्डर पर आज एक बार फिर संग्राम की स्थिति बन सकती है. किसानों का कहना है कि किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे दिल्ली की तरफ रवाना होगा.
किसान सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का समूह शनिवार को शांतिपूर्ण तरीके से पैदल मार्च (farmers march) करेगा. किसानों के आंदोलन (farmer protest) को तेज करने से पहले सरकार को बातचीत करनी चाहिए. बता दें कि बीते रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों को शंभू बॉर्डर से दिल्ली तक अपना पैदल मार्च स्थगित करना पड़ा था. क्योंकि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने से कुछ किसान घायल हो गए थे. किसान यूनियनों के अनुसार, उन्हें किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत के कारण भी अपना विरोध स्थगित करना पड़ा, जो 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं.
किसान नेता दल्लेवाल अस्वस्थ
दल्लेवाल का आमरण अनशन शुक्रवार को अठारहवें दिन में प्रवेश कर गया. जबकि कई किसान नेताओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की है. पंधेर ने कहा कि जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत ठीक नहीं है और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को छोड़कर पूरा देश उनके बारे में चिंतित है. न तो वे हमारे दिल्ली मार्च (farmers march) को लेकर चिंतित हैं और न ही वे खनौरी में जो हो रहा है, उससे चिंतित हैं. हमारा मानना है कि समिति बनाना हमारी समस्या का समाधान नहीं है. अगर सरकार समाधान पर पहुंचना चाहती है तो उन्हें हमारे साथ बातचीत करनी चाहिए.
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने भी शुक्रवार को पंजाब के किसान नेता से मुलाकात की और संयुक्त लड़ाई के लिए किसान समूहों की एकजुटता का आह्वान किया. टिकैत ने कहा कि दल्लेवाल हमारे बड़े नेता हैं और हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, पूरे देश के किसान चिंतित हैं. टिकैत ने कहा कि हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. सरकार को संज्ञान लेना चाहिए. ऐसा नहीं लगता कि दल्लेवाल तब तक अपना आमरण अनशन वापस लेंगे, जब तक सरकार बातचीत नहीं करती और उनकी मांगें पूरी नहीं करती.
टिकैत ने यह भी चेतावनी दी कि केंद्र सरकार को किसानों की ताकत दिखानी होगी और इसके लिए दिल्ली को अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले आंदोलन (farmer protest) की तरह सीमाओं पर नहीं घेरना होगा, बल्कि केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे) से राष्ट्रीय राजधानी को घेरना होगा. इस बार आंदोलन केएमपी पर होगा. हमें केएमपी को ही सीमाएं बनानी होंगी. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली को घेरा जाएगा तो वह केएमपी से होगा. यह कब और कैसे होगा, हम देखेंगे.
किसानों की मांगें
बता दें कि 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा (farmers march) डाले हुए हैं. किसान फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय" की मांग कर रहे हैं.