
BJP सांसद की टिप्पणी पर भड़के क़ुरैशी: कहा- 'धर्म के नाम पर नफरत की राजनीति'
Former CEC SY Quraishi ने कहा कि अपने काम और योगदान से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत किया है. किसी व्यक्ति की पहचान उसके धर्म से नहीं, बल्कि उसके कर्म से होनी चाहिए.
Former CEC SY Quraishi responds: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई क़ुरैशी ने 21 अप्रैल को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की उस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें दुबे ने उन्हें "मुस्लिम कमिश्नर" कहा था. क़ुरैशी ने कहा कि मैंने चुनाव आयुक्त जैसे संवैधानिक पद पर पूरी ईमानदारी से काम किया है. मैं उस भारत में विश्वास करता हूं, जहां किसी व्यक्ति को उसके काम और योगदान से पहचाना जाता है, न कि उसके धर्म से. लेकिन कुछ लोग धर्म की पहचान का इस्तेमाल नफरत फैलाने की राजनीति के लिए करते हैं. भारत अपने संविधान और संस्थानों के लिए हमेशा खड़ा रहा है और आगे भी रहेगा.
आईएएस अधिकारियों का समर्थन
दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स अकादमिक फोरम के मानद अध्यक्ष आईएएस अधिकारी के. महेश ने क़ुरैशी का समर्थन करते हुए कहा कि वो एक बेहतरीन चुनाव आयुक्त थे. उन्होंने चुनाव आयोग में कई अहम सुधार किए, जैसे मतदाता शिक्षा प्रभाग, खर्च नियंत्रण विभाग और लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन संस्थान की स्थापना. भारत को ऐसे ईमानदार आईएएस अधिकारी पर गर्व है. यहां तक कि महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने भी क़ुरैशी को ‘अब तक के सबसे प्रभावशाली चुनाव आयुक्तों में से एक’ कहा है.
विवादित टिप्पणी
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान में कहा था कि क़ुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं, मुस्लिम कमिश्नर थे. उनके कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर बनाया गया. दुबे ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्ति का मुद्दा हिन्दू, जैन, बौद्ध या आदिवासी समाज की ज़मीन से जुड़ा हुआ है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब क़ुरैशी ने वक्फ अधिनियम को "मुस्लिम ज़मीनों को हड़पने की एक खतरनाक योजना" बताया था.
विवाद की पृष्ठभूमि
क़ुरैशी ने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा था कि वक्फ एक्ट सरकार की तरफ से मुस्लिम संपत्तियों को हड़पने की साजिश है और सुप्रीम कोर्ट को इसे खारिज करना चाहिए. इस बयान के जवाब में दुबे ने उनके धर्म पर हमला किया और उन पर पक्षपात का आरोप लगाया. इससे पहले दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर भी तीखी टिप्पणी की थी, जिससे बीजेपी ने खुद को अलग कर लिया.