हेल्थ- इंश्योरेंस पर 18% GST आफत से कम नहीं, विपक्ष की मांग में है दम
x

हेल्थ- इंश्योरेंस पर 18% GST आफत से कम नहीं, विपक्ष की मांग में है दम

हेल्थ और हेल्थ इंश्योरेंस उत्पादों से 18 फीसद जीएसटी हटाने या कम किए जाने पर विपक्ष ने कमर कस ली है।


Health-Insurance GST: हेल्थ और इंश्योरेंस सेक्टर में 18 फीसद जीएसटी पर संसद में हंगामा बरपा हुआ है। इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने एक सुर में कड़ी आलोचना की। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी अपनी बात को इस तरह से रखते हैं। उनके मुताबिक यदि कोई शख्स अस्वस्थ है या वो दुर्घटना का शिकार हो गया है। वो जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है और आप उस पर टैक्स लगा रहे है। किसी शख्स के साथ इस तरह से लूट करना गलत है। नितिन गडकरी खुद अपनी बात रखते हुए इसे वापस लेने की मांग कर चुके हैं। हम ये मांग अपने लिए बल्कि लोगों के लिए कर रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर कांग्रेस से कुछ लोगों ने सवाल पूछा कि वर्षों तक 14 फीसद वैट लेने वाले आज जाग गए हैं।

18 फीसद जीएसटी की गणित

उदाहरण के लिए अगर पांच लाख रुपए वाली कोई लाइफ या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की खरीद करते हैं तो इसकी प्रीमियम करीब 11 हजार रुपए होती है. अगर आप 18 फीसद जीएसटी लगाएं तो पांच लाख के लिए आपको कुल 11 हजार +100+18 फीसद जीएसटी देना पड़ेगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि 1980 रुपए अतिरिक्त भुगतान करना होगा। अगर आप लाइफ कवर पांच लाख से अधिर का लेते हैं तो स्वाभाविक तौर पर ज्यादा प्रीमियम अदा करना होगा।

क्या है आम लोगों की राय
18 फीसद जीएसटी के विषय पर आम लोगों में भी रोष है। वैशाली, गाजियाबाद के रहने वाले नीरज पांडे कहते हैं कि सरकार तो पूरी तरह से निचोड़ ली है। अब आप खुद बताइए कि मध्यम वर्ग किसी तरह पैसे बचाकर स्वास्थ्य बीमा की खरीद करता था। लेकिन अब खर्च और बढ़ जाएगा। राहत के नाम पर आप सिर्फ झुनझुना पकड़ा रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के रहने वाले मनोज मिश्रा कहते हैं कि पहले तो वो किसी तरह से हेल्थ इंश्योरेंस लिए लेकिन सरकार के इस निर्णय से कमर ही टूट गई है। स्वास्थ्य से बड़ी चीज क्या हो सकती है। अब तो मरता क्या ना करता वाली स्थित बन गई है। आप चाहकर भी हेल्थ इंश्योरेंस से अपने आपको अलग नहीं कर सकते। सरकार से एक ही गुजारिश है कि अगर आप 18 फीसद जीएसटी हटा नहीं सकते हैं तो कम जरूर करें।

सरकार का क्या है तर्क
सोमवार को टीएमसी की माला रॉय के एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि गरीब तबके और दिव्यांगों के लिए कुछ बीमा योजनाओं को 18 फीसदी जीएसटी से छूट दी गई है। ये योजनाएं हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई), यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम, जन आरोग्य बीमा पॉलिसी और निरामया स्वास्थ्य बीमा योजना। मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर छूट निर्धारित की जाती है, जो एक संवैधानिक निकाय है, जिसमें केंद्र और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर में छूट या कमी के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं।

राजस्व की इतनी वसूली

वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2024 में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और जीवन बीमा प्रीमियम से जीएसटी संग्रह क्रमशः 8262.94 करोड़ रुपये और 1484.36 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2022 में यह क्रमशः 5354.28 करोड़ रुपये और 825.95 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 7638.33 करोड़ रुपये और 963.28 करोड़ रुपये हो गया।

Read More
Next Story