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क्यों वायुसेना प्रमुख के निशाने पर है HAL? स्वदेशी अब भी विदेशी पर निर्भर
भारतीय वायुसेना प्रमुख ए पी सिंह ने एचएएल की कार्यप्रणाली पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि तेजस एयरक्रॉफ्ट में हो रही देरी से भरोसा कम हो रहा है।
Hindustan Aeronautics Limited News: अगर कोई सामान्य शख्स कहे कि उसे एचएएल यानी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स पर भरोसा नहीं है तो आप भी ध्यान नहीं देंगे या आप कहेंगे उसके सर्टिफिकेट से क्या होता है। लेकिन यदि इस तरह की बात यदि वायुसेना के प्रमुख करें तो आप हैरत में पड़ जाएंगे। आप सवाल करने लगेंगे कि एक तरफ हम रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी के बढ़ावे की बात करते हैं दूसरी तरफ आईएएफ के चीफ को ही भरोसा नहीं हो रहा। अब पहले आईएएफ चीफ एपी सिंह ने क्या कहा पहले उसे जानते हैं।
'एचएएल पर भरोसा हो रहा कम'
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह (IAF Chief AP Singh ने कहा है कि रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में उनका भरोसा लगातार कम होता जा रहा है, क्योंकि यह हल्के लड़ाकू विमान तेजस (Tejas Aircraft) की डिलीवरी और अपग्रेड में होने वाली देरी को ठीक करने में विफल रही है।
सिंह ने सोमवार को बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 की शुरुआत के साथ शूट किए गए एक वीडियो में कहा, "आपको (हमारी) चिंताएं दूर करनी होंगी और हमें अधिक आश्वस्त करना होगा। फिलहाल, मुझे एचएएल पर भरोसा नहीं है, जो कि बहुत गलत बात है।" उन्हें कथित तौर पर पीएसयू का जिक्र करते हुए यह कहते हुए सुना जा सकता है, "मैं आपको (hal) बता सकता हूं कि हमारी आवश्यकताएं और चिंताएं क्या हैं।" पीएसयू की दक्षता पर सवाल उठाने वाली उनकी टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना प्रमुख ने समयसीमा का पालन न करने के लिए एचएएल की आलोचना की है, लेकिन रक्षा पीएसयू की दक्षता पर सवाल उठाने वाली उनकी टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया है। एचएएल ने देरी के लिए 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है। सीएमडी डी के सुनील ने कहा कि पीएसयू 1984 में शुरू की गई परियोजना के लिए निर्धारित समयसीमा और इसके द्वारा अपेक्षित अतिरिक्त ऑर्डर को पूरा कर लेगा।
एचएएल का कहना है कि उसे मार्च के अंत तक कम से कम 11 तेजस-एमके1ए विमान भारतीय वायुसेना को सौंपने का भरोसा है। यह 83 विमानों के अनुबंध का हिस्सा है। परियोजना से जुड़े कई लोगों ने संकेत दिया है कि एचएएल इस विमान को एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी का बच्चा मानता है। तर्क यह है कि बाद वाले ने लड़ाकू विमान को डिजाइन और विकसित किया जबकि एचएएल ने 2014 के बाद मेक-इन-इंडिया के लिए जोर देने के बाद ही काम करना शुरू किया।
एचएएल नेतृत्व ने वायुसेना प्रमुख की बार-बार आलोचना पर सीएमडी सुनील ने कहा कि उन्हें पूरी बात को संदर्भ के साथ पेश करना होगा। आप जानते हैं कि 1998 में हमारे परमाणु परीक्षण के बाद हमें (भारत को) प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था, इसलिए हमें शुरुआत से ही चीजों को बनाना पड़ा। इसमें बहुत काम किया गया है।
विदेशी तकनीक पर निर्भरता
एचएएल अमेरिकी फर्म जीई पर जीई-414 इंजन के लिए 80% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी Transfer) सौदे पर विचार करने के लिए दबाव डाल रहा है, जो तेजस के उन्नत वेरिएंट और संभवतः भारत के पांचवीं पीढ़ी के विमान एएमसीए को शक्ति प्रदान करेगा, जो विकास के अधीन है। सुनील ने कहा कि एचएएल ने अपनी ऑर्डर बुक में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जो दिसंबर 2024 तक 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, पिछले साल कई प्रमुख अनुबंधों की बदौलत, जिसमें भारतीय वायुसेना के लिए 12 सुखोई-30एमकेआई विमान, 240 एएल31एफपी इंजन और विभिन्न रक्षा बलों के लिए कई हेलीकॉप्टर ऑर्डर शामिल हैं।
'देरी केवल सुस्ती से नहीं'
उन्होंने कहा कि तकनीकी मुद्दों का समाधान कर लिया गया है। सीएमडी ने कहा कि उन्हें वायुसेना प्रमुख की चिंता समझ में आती है क्योंकि उनके स्क्वाड्रन की ताकत कम हो रही है। हमने वादा किया है कि हमारे पास ये सभी संरचनाएं तैयार होंगी। और हमने विभिन्न स्तरों पर कई बैठकों के दौरान इसे व्यक्त किया है।