बिना एग्जाम बनें IAS, जिस लेटरल एंट्री का विरोध उसके बारे में पूरी जानकारी
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बिना एग्जाम बनें IAS, जिस लेटरल एंट्री का विरोध उसके बारे में पूरी जानकारी

लेटरल एंट्री के जरिए आईएएस एग्जाम पर विपक्ष ने हल्ला बोल दिया है। राहुल गांधी और अखिलेश आरक्षण पर हमला बता रहे हैं।


IAS Lateral Entry: देश क्या दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है आईएएस की परीक्षा। हर वर्ष करीब 14 से 15 लाख छात्र किस्मत आजमाते हैं। लेकिन सफलता की दर दशमलव में यानी बेहद कम। सामान्य तौर पर यूपीएससी के जरिए 700 से 800 छात्र सिविल सेवा के लिए चयनित होते हैं। लेकिन 2019 में मोदी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था को अमल में लाई जिसके जरिए वो लोग आईएएस बन सकते हैं जो किसी वजह से नहीं बन पाए। हाल ही में यूपीएससी ने 45 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। इसे लेकर एक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने निशाना साधा है। राहुल गांधी ने कहा है कि यह आरक्षण पर हमला है। लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है।बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास करता है।

राहुल- अखिलेश ने किया था विरोध
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे।दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है।
अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।
कांग्रेस की अवधारण थी
बीजेपी ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि यह अवधारणा सबसे पहले यूपीए सरकार की तरफ से ही लाई गया था। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि लेटरल एंट्री के मामले में कांग्रेस का पाखंड साफ तौर पर नजर आ रहा है। दरअसल, लेटरल एंट्री की अवधारणा को विकसित करने वाला यूपीए सरकार ही थी। दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग 2005 में मनोहन सिंह सरकार ने ही बनाया गया था।
क्या है लेटरल एंट्री

जिन पदों पर वरिष्ठ आईएएस की तैनाती होती है उन पदों पर यूपीएसएसी भर्ती करता है। इस सिस्टम में अलग अलग मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर या डिप्टी डायरेक्टर की भर्ती की जाती है। निजी क्षेत्र या अलग अलग सेक्टर के अनुभवी लोगों को इन पदों पर सेवा करने का मौका मिलता है। इस व्यवस्था के तहत अभ्यर्थी को सिविल सेवा एग्जाम में हिस्सा लेने की आवश्यकता नहीं होती है। इंटरव्यू के जरिए प्राइवेट सेक्टर से जुड़े लोगों की नियुक्ति हो जाती है।

इन देशों में लेटरल एंट्री सिस्टम लागू
लेटरल एंट्री के जरिए अधिकारियों के चयन की व्यवस्था सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, बेल्जियम, इटली,जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में यह व्यवस्था काम कर रही है। अमेरिका में लेटरल एंट्री सिस्टम का स्थाई हिस्सा है। इसके जरिए एक्सपर्ट की नियुक्ति की जाती है। कुछ दिनों पहले ही यूएस गृह विभाग में लेटरल एंट्री का ऐलान किया गया था इसे मिड करियर प्रोफेशनल के लिए शुरू किया गया।

2019 से शुरुआत
2019 में कुल 8 संयुक्त सचिवों के पद पर लेटरल एंट्री के तहत नियुक्ति दी गई। 2022 में कुल 30 अधिकारी जिसमें 3 ज्वाइंट सेक्रेटरी और 27 डॉयरेक्टर बनाए गए। 2023 में 37 पदों के लिए सिफारिश की गई इसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी, डॉयरेक्टर, डेप्यूटी सेक्रेटरी शामिल थे। पिछले पांच साल में 63 नियुक्तियां की गईं है और इस व्यवस्था के जरिए 57 अधिकारी अपनी सेवा दे रहे हैं। लेटरल एंट्री का मकसद यह है कि इसके जरिए एक्सपर्ट्स को सीधे तौर पर विभागों में एंट्री दी जाए और सरकार उनके अनुभवों का फायदा नीतियों को बनाने और उनके क्रियान्वयन में कर सके।

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