उसके चेहरे पर घिनौनी मुस्कान थी मन करता था, कंधार हाइजैक से क्या है नाता
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'उसके चेहरे पर घिनौनी मुस्कान थी मन करता था', कंधार हाइजैक से क्या है नाता

1999 के समय जम्मू के डीआईजी रहे एस पी वैद्य कहते हैं कि कंधार हाइजैक को टालने की कोशिश हुई थी। लेकिन बाद में यह काम कठिन हो गया


Kandhar Highjack: IC 814 कंधार हाईजैक वेबसीरीज को लेकर अब धीरे धीरे वो सभी जानकारियां सामने आ रही हैं जिससे हम सभी अनजान थे। कुछ लोग जहां इसे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ बता रहे हैं वहीं कुछ लोगों का कहना है जो जैसा था वैसा पेश किया गया। कुछ लोगों की आपत्ति है कि आईएसआई को क्लीन चिट देने की कोशिश की गई। उस समय रॉ के चीफ रहे ए एस दुलत ने कहा कि आखिर वो किसी दूसरे को दोष क्यों दें वो तो खुद भी एक तरह से दोषी थे। वो कहते हैं कि आईएसआई की भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता। हम अमृतसर में कुछ कर सकते थे। लेकिन उसके आगे किसी का नियंत्रण नहीं था। इन सबके बीच 1999 के दौरान जम्मू के डीआईजी रहे एस पी वैद्य ने बड़ी बात कही है।

मसूद अजहर पर बड़ी बात
काफी बातचीत के बाद आतंकियों ने सबसे पहले कई आतंकियों की रिहाई की मांग की। ये सारी मांगें आईएसआई के इशारे पर की गई थीं, लेकिन काफी कड़ा समझौता हुआ, हमारे जितने भी लोग इसमें शामिल थे, उन्होंने उस समय काफी कड़ा समझौता किया और आखिरकार ये तय हुआ कि 3 आतंकियों को छोड़ा जाएगा...उनमें से एक मसूद अजहर था...जब मैं उसे लेने गया तो मसूद के चेहरे पर बड़ी घिनौनी मुस्कान थी...'मन तो करता था किसी तरह से ये जिंदा यहां से ना जाए'..."


तब कहा था खूनी अपमान
वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जो उस समय खुफिया ब्यूरो के प्रमुख थे, ने यात्रियों को सौंपने और छोड़ने की प्रक्रिया की देखरेख की। उन्होंने पूरे प्रकरण को भारत के लिए "खूनी अपमान" कहा।जबकि भारतीय इतिहास के इस काले दौर पर विदेश मंत्रालय का बयान इस प्रकार है: "अपहरण संकट, और भारत के खिलाफ पाकिस्तान के निरंतर छद्म युद्ध के साथ इसकी सुस्थापित सांठगांठ ने भारत की आंतरिक सुरक्षा, हमारी सीमाओं की सुरक्षा और हमारी एकता और अखंडता की सुरक्षा के बीच अविभाज्य संबंध को स्पष्ट रूप से उजागर किया है।

तालिबान ने आतंकवादियों को पाकिस्तान में सुरक्षित मार्ग प्रदान किया। मसूद अजहर ने कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत की, जिसने भारतीय धरती पर कई हमले किए, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें 2001 में संसद पर हमला, 2008 में मुंबई में आतंकी हमला और 2019 में पुलवामा में हमला शामिल है। मसूद अजहर पाकिस्तान अपनी नाकाम गतिविधियों को अंजाम देता है।

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