इस दाग से किसी को ऐतराज नहीं, करीब 46 फीसद सांसदों पर क्रिमिनल केस
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इस दाग से किसी को ऐतराज नहीं, करीब 46 फीसद सांसदों पर क्रिमिनल केस

एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा में दागी सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है. खास बात ये कि कोई भी दल इनसे अछूता नहीं है.


Tainted MP in Loksabha: आप का प्रतिनिधि कैसा होना चाहिए. इस सवाल का 100 फीसद जवाब ये होगा कि जिसके दामन पर किसी तरह का दाग ना हो.लेकिन अब ऐसा लगता है कि ये दाग हमारे सिस्टम के अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं. 18वीं लोकसभा के नतीजे चार जून को घोषित किए. देश में एक बार फिर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बन चुकी है. 24 जून से संसद का सत्र भी शुरू होने जा रहा है. चुने हुए जनप्रतिनिधियों को शपथ दिलाई जाएगी. इन सबके बीच एक रिपोर्ड एडीआर ने जारी की है. उस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 46 फीसद सांसद दागी हैं. यानी की कुल 543 में से 251 सांसद क्रिमिनल केस का सामना कर रहे हैं यही नहीं 27 सांसदों को तो दोषी भी ठहराया गया है. अगर 2009 से तुलना करें तो इसमें 55 फीसद इजाफा हुआ है.

इन आंकड़ों को पढ़ आ जाएगा चक्कर
डीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में करीब 43 फीसद सांसदों ने हलफनामे में अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों के बारे में जानकारी दी है. 2014 में यह आंकड़ा 185 यानी 34 फीसद, 2009 में 162 यानी 30 फीसद और 2004 में 125 यानी 23 फीसद था.इसका अर्थ यह है हर अगले आमचुनाव में दागी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती गई है. इस साल 251 कुल दागियों में से 170 के खिलाफ यानी 31 फीसद सांसद गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. इनमे रेप, हत्या,हत्या की कोशिश, महिलाओं के खिलाफ अपराध हैं. 2019 में यह संख्या 159 यानी 29 फीसद, 2014 में 112 यानी 21 फीसद जबकि 2009 में 76 यानी 14 फीसद थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009 से गंभीर आपराधिक मामले घोषित करने वाले सांसदों की संख्या में 124 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्लेषण में विजयी उम्मीदवारों के बीच खास मामलों पर भी रोशनी डाली गई है. 27 विजयी उम्मीदवारों ने घोषित किया है कि उन्हें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है, चार ने आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं, और 27 ने आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित किए हैं.

जो दागी उनकी जीत की संभावना अधिक
18वीं लोकसभा का हिस्सा बनने जा रहे 15 विजयी उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की है.इनमें से दो पर आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का आरोप है. इसके अलावा चार विजयी उम्मीदवारों ने अपहरण से संबंधित मामलों की घोषणा की है. 43 ने अभद्र भाषा से संबंधित मामलों की घोषणा की है. खास बात यह है कि आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार के जीतने की संभावना 15.3 प्रतिशत है, जबकि स्वच्छ पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के लिए यह केवल 4.4 प्रतिशत है.

कोई किसी से पीछे नहीं
एडीआर के अनुसार 18वीं लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 94 (39 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं। कांग्रेस के 99 विजयी उम्मीदवारों में से उनतालीस (49 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं और समाजवादी पार्टी के 37 उम्मीदवारों में से 21 (45 प्रतिशत) पर आपराधिक आरोप हैं। टीएमसी के 29 में से 13 (45 प्रतिशत), डीएमके के 22 में से 13 (59 प्रतिशत), टीडीपी के 16 में से आठ (50 प्रतिशत) और शिवसेना के सात विजयी उम्मीदवारों में से पांच (71 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं। विश्लेषण में पाया गया कि 63 (26 प्रतिशत) भाजपा उम्मीदवार, 32 (32 प्रतिशत) कांग्रेस उम्मीदवार और 17 (46 प्रतिशत) सपा उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इसमें कहा गया है कि सात (24 प्रतिशत) टीएमसी उम्मीदवार, छह (27 प्रतिशत) डीएमके उम्मीदवार, पांच (31 प्रतिशत) टीडीपी उम्मीदवार और चार (57 प्रतिशत) शिवसेना उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।

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