
संधि निलंबित, मानवीय आधार पर पहल: भारत ने बाढ़ की आशंका पर पाकिस्तान को किया आगाह
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भले ही भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया हो, लेकिन मानवीय आधार पर आपदा चेतावनी साझा करके पड़ोसी धर्म का पालन किया है। हालांकि, दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव अब भी बना हुआ है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद नई दिल्ली द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित किए जाने के बाद यह पहली बार है, जब भारत ने तवी नदी में आशंकित बाढ़ को लेकर पाकिस्तान को सतर्क किया है। यह जानकारी पाकिस्तानी मीडिया ने सोमवार को दी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह अलर्ट भारतीय उच्चायोग के माध्यम से पाकिस्तान को भेजा गया है। हालांकि, इस घटनाक्रम को लेकर अभी तक भारत या पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक मानवीय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने यह जानकारी इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से पाकिस्तान को भेजी। इसके आधार पर पाकिस्तानी प्रशासन ने संबंधित क्षेत्रों में चेतावनी जारी कर दी है। हालांकि, अब तक इसको लेकर न तो भारत और न ही पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है। आमतौर पर इस प्रकार की सूचनाएं सिंधु जल आयुक्त के माध्यम से साझा की जाती हैं, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया अलग रही।
संघर्ष के बाद पहला संपर्क
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मई में भारत-पाक टकराव के बाद यह दोनों देशों के बीच का पहला बड़ा संवाद है। सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद से भारत की यह पहली मानवीय पहल मानी जा रही है।
सिंधु जल संधि निलंबन
उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले* के अगले ही दिन भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को "निलंबित" करना भी शामिल था। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी और यह सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है।
पाकिस्तान में भारी बारिश की चेतावनी
इस बीच पाकिस्तान की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने 30 अगस्त तक देश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इससे पहले 26 जून से 20 अगस्त तक चले मानसून सत्र में 788 से अधिक लोगों की जान गई और 1,018 से ज्यादा लोग घायल हुए।
संधि बहाल करने की उम्मीद
11 अगस्त को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत सिंधु जल संधि को बहाल करेगा। यह बयान आर्बिट्रेशन कोर्ट द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में दिए गए फैसले के बाद आया। 8 अगस्त को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने कहा था कि भारत को पश्चिमी नदियों का जल बिना किसी रोक-टोक के पाकिस्तान को देना होगा। साथ ही, हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स को लेकर भारत के "बेस्ट प्रैक्टिस" मॉडल को संधि का उल्लंघन बताया गया।
भारत ने आर्बिट्रेशन कोर्ट को अवैध बताया
हालांकि, भारत ने इस कोर्ट को अवैध और संधि का उल्लंघन बताया है। विदेश मंत्रालय ने 27 जून को साफ कहा था कि यह कोर्ट "संधि की खुली अवहेलना" के तहत बनाया गया है और इसके किसी भी आदेश या निर्णय को भारत मान्यता नहीं देता। भारत का कहना है कि किशनगंगा और रतले परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद भारत ने तटस्थ विशेषज्ञ से समाधान की मांग की थी, जबकि पाकिस्तान ने सीधे आर्बिट्रेशन कोर्ट का रुख किया।