सात साल बाद यूपी में दो लड़कों की जोड़ी चल गई, जानें- क्या हैं वजहें
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सात साल बाद यूपी में दो लड़कों की जोड़ी चल गई, जानें- क्या हैं वजहें

देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन एनडीए से शानदार है.क्या यहां दो लड़कों की जोड़ी काम कर गई है


Uttar Pradesh LokSabha Election Result News: रुझानों में एनडीए को बहुमत हासिल है, हालांकि बीजेपी खुद के दम पर 272 के आंकड़े को पार करती हुई नहीं नजर आ रही है. आपके दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्यों है. इसका उत्तर कुछ इस तरह से समझिए. देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी है जहां लोकसभा की 80 सीट हैं. इन 80 सीटों में 42 सीटों पर इंडिया गठबंधन आगे है. अगर यूपी में बीजेपी अपनी 62 सीट को कायम रखती तो जादुई आंकड़े को छू लेती. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. अब कहा जा रहा है कि यूपी के दो लड़कों की जोड़ी यानी राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी ने कमाल कर दिया है.

सात साल पहले 2017 में यूपी विधानसभा के लिए चुनाव होना था. जमीनी स्तर पर कांग्रेस का संगठन कमजोर था. सपा के सामने बीएसपी और बीजेपी थे. ऐसे में सपा और कांग्रेस ने एक साथ आने का फैसला किया और दो लड़कों की जोड़ी बन गई. ये बात अलग है कि विधानसभा चुनाव में कोई खास फायदा नहीं हुआ और समाजवादी पार्टी की यूपी से विदाई हो गई. सात साल में गंगा यमुना में काफी पानी बहा. 2019 के आम चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा को यह समझ में आया कि गठबंधन सम. की मांग है और एक बार फिर दोनों एक साथ आए और अब उसका फायदा होता नजर आ रहा है.

संविधान- आरक्षण बचाओ का नारा

इस चुनाव में इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों की तरफ से संविधान और आरक्षण बचाओ के नारे को बुलंद किया गया. एनडीए के 400 पार के नारे को विपक्ष ने इस तरह प्रचारित किया जैसे बीजेपी पिछड़ों के हक पर डाका डाल रही है. हालांकि इसके खिलाफ नरेंद्र मोदी लगातार कहते रहे कि उनके रहते हुए आरक्षण और संविधान पर हाथ नहीं लगा सकता. लेकिन रुझानों से पता चलता है कि जनता ने इंडी गठबंधन की बातों पर भरोसा किया.

महंगाई, बेरोजगारी

इसमें कोई दो मत नहीं कि महंगाई और बेरोजगारी बुनियादी मुद्दे हैं. इंडी ब्लॉक के नेता अपने चुनावी सभाओं में कहा करते थे कि आंकड़ों और कागजों में ही महंगाई कम हुई है. हकीकत यह है कि आम लोगों की पहुंच से बुनियादी चीजें बाहर हैं. पहले का जमाना था जब जेब में पैसे कम और सब्जी वाला थैला भरा रहता था. अब तो स्खिति यह है कि ना जेब में पैसे और ना ही सब्जी वाला थैला भरा होता है. बेरोजगारी का आलम यह कि हर 10 में से सात युवाओं के हाथ में काम नहीं है. एक तरह इंडिया गठबंधन के नेता कहा करते थे कि एनडीए सरकार में नौकरियों की कमी तो बिहार में किस तरह तेजस्वी मे एक साल से कम समय में पांच लाख लोगों को नौकरी दे दी.

अग्निवीर योजना को खत्म करने का ऐलान

राहुल गांधी अपने सभी चुनावी सभाओं में अग्निवीर योजना पर स्पष्ट नजरिया रखते थे. उनका कहना था कि सरकार में आते ही इस योजना को चार महीने के अंदर ही समाप्त कर देंगे. राजस्थान, हरियाणा के साथ देश के अलग अलग राज्यों से जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे साफ है कि युवाओं में उनकी यह अपील काम कर गई और उसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलता दिख रहा है.

400 पार का नारा संविधान पर हमला

एनडीए ने इस बार 400 पार का नारा दिया था. इस 400 पार के नारे को इंडी ब्लॉक ने इस तरह से पेश किया कि मोदी की सरकार मतदाताओं के अधिकार पर हमला करने वाली है. राहुल गांधी और उनके सहयोगी नेता यह समझाने में कामयाब रही कि अगर एनडीए 400 के पार जाती है तो उसका सीधा असर गरीब, शोषित और वंचित आबादी पर पड़ेगा. रुझानों में जिस तरह से इंडी ब्लॉक बढ़त पर है उससे साफ है कि एनडीए के नेता 400 पार के मतलब को वोटर्स तक नहीं पहुंचा सके.

विरोधी नेताओं को फंसाने की साजिश

इस चुनाव में अहम मुद्दा विरोधी दल के नेताओं को परेशान और फंसाने की रही है. चुनाव से कुछ महीने पहले झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन और मतदान से ऐन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के अरेस्ट को इंडी गठबंधन के नेताओं ने जमकर उछाला. जनता के बीच राहुल गांधी और इन दलों के नेता कहा करते थे कि देखो देखो ईडी और सीबीआई का कैसे बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्हें इस बात से आपत्ति नहीं कि जिनके खिलाफ करप्शन के केस हों उन पर कार्रवाई ना हो.उनका सवाल सिर्फ इतना है कि आखिर जो दागदार लोग बीजेपी के साथ या उनका हिस्सा बनते हैं वो इन एजेंसियों के नजर में क्यों नहीं आते.

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