अब पिघल रही है रिश्तों पर जमी बर्फ, ब्राजील में मिले जयशंकर-वांग यी
कजान के बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से ब्राजील में मुलाकात की। बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच डॉयरेक्ट फ्लाइट पर चर्चा हुई।
India China Relation: कहते हैं कि अगर आप किसी से संवाद ना करें तो अविश्वास की खाईं चौड़ी और गहरी दोनों होती है। बातचीत करते रहने से ना सिर्फ कड़वाहट दूर होती है बल्कि विश्वास भी बढ़ता है। क्या यह कहावत भारत-चीन के रिश्ते पर सटीक बैठती है। अगर आप इतिहास देखें तो यकीनन कह उठेंगे कि पीठ पर खंजर भोंकने का काम तो चीन ने ही किया था। 1962 की लड़ाई हो या डोकलाम का मुद्दा या लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ। चीन को जब मौका लगता है वो विश्वासघात करने से बाज नहीं आता। 2020 में गलवान के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट आई। लेकिन चार साल के बाद अब ऐसा लग रहा है कि चीन ने अपने सुर नरम किए हैं। हालांकि चीन के बारे में आम धारणा यही है कि वो भरोसे के काबिल नहीं है।
यहां बता दें कि भारत के विदेश मंत्री डॉ़ एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने जी 20 मीटिंग से इतर मुलाकात की। दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई जिनमें दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान भी शामिल है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार वांग ने दोनों देशों के बीच 'अधिक आपसी विश्वास और कम संदेह' की आवश्यकता की भी बात की। वांग ने भारत से सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने, पत्रकारों का आदान-प्रदान करने और वीजा की सुविधा के लिए सहयोग बढ़ाने का भी आग्रह किया।
चीन ने पिछले महीने विवादित हिमालयी सीमा के प्रत्येक पक्ष पर सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक समझौते को लागू करना शुरू किया। जयशंकर ने पुष्टि की कि कज़ान में नेताओं द्वारा किए गए समझौतों को योजना के अनुसार लागू किया जा रहा है। जयशंकर ने कहा, "मुझे यह देखकर खुशी हुई कि जमीन पर, उस समझ का कार्यान्वयन योजना के अनुसार आगे बढ़ा है।" उन्होंने यह भी बताया कि प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने-अपने विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों को शीघ्र ही एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया है।