Census 2021: मोदी सरकार सितंबर में शुरू करेगी जनगणना, 2026 तक नतीजे आने की उम्मीद
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Census 2021: मोदी सरकार सितंबर में शुरू करेगी जनगणना, 2026 तक नतीजे आने की उम्मीद

भारत में काफी समय से लंबित जनगणना सितंबर में शुरू होने की संभावना है. जनगणना साल 2021 के लिए निर्धारित की गई थी.


India Population Census: भारत में काफी समय से लंबित जनगणना सितंबर में शुरू होने की संभावना है. जनगणना साल 2021 के लिए निर्धारित की गई थी. लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में इसके पूरा होने की उम्मीद है.

मीडिया एजेंसी के अनुसार, इस प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल दो सरकारी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि व्यापक सर्वेक्षण को पूरा होने में लगभग 18 महीने लगेंगे, जिसके परिणाम मार्च 2026 तक जारी होने की उम्मीद है. जनगणना में लगातार हो रही देरी की कड़ी आलोचना हुई है. सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगह अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं ने तर्क दिया है कि इस देरी ने आर्थिक डेटा, मुद्रास्फीति और रोजगार अनुमानों से संबंधित विभिन्न सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की सटीकता और प्रासंगिकता से समझौता किया है.

वर्तमान में इनमें से अधिकांश डेटा पुरानी 2011 की जनगणना पर निर्भर हैं, जिससे कई सरकारी योजनाएं और नीतियां कम प्रभावी हो गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय जनगणना के लिए एक विस्तृत समयरेखा पर काम कर रहे हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय से अंतिम मंजूरी का इंतजार है. इस कवायद की तात्कालिकता के बावजूद केंद्र सरकार ने 2021 की जनगणना के लिए इस साल के बजट में कटौती की है. मूल रूप से, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनगणना के लिए 8,754.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए अतिरिक्त 3,941.35 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी.

हालांकि, केंद्रीय बजट 2024-25 में आवंटन घटाकर 1,309 करोड़ रुपये कर दिया गया, जो 2021-22 में निर्धारित 3,768 करोड़ रुपये से काफी कम है. इस बजट कटौती ने इस साल की कवायद पर भी संदेह पैदा कर दिया है. पिछले महीने कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने निराशा व्यक्त की कि वित्त मंत्री की बजट घोषणाओं में जनगणना के लिए पर्याप्त रूप से धन मुहैया कराने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है, जब सरकार समय पर जनगणना कराने में विफल रही है.

जयराम नरेश ने कहा कि राज्य की प्रशासनिक क्षमताओं पर इसके गंभीर परिणाम होंगे. इसका एक उदाहरण 10-12 करोड़ व्यक्तियों का मामला है, जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है. इसका यह भी मतलब है कि सरकार अपने एनडीए सहयोगियों की मांग के बावजूद सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना से बचना जारी रखेगी. बता दें कि जनगणना 2021 पहली डिजिटल जनगणना होगी, जो लोगों को खुद की गिनती करने का अवसर देगी.

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