डिजिटल युग में बदलाव, रजिस्टर्ड पोस्ट इतिहास बनने को तैयार
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डिजिटल युग में बदलाव, रजिस्टर्ड पोस्ट इतिहास बनने को तैयार

भारतीय डाक विभाग 1 सितंबर 2025 से रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा बंद करेगा। यह सेवा स्पीड पोस्ट में विलय होकर अधिक तेज़, ट्रैक करने योग्य सुविधा बनेगी।


भारत में डाक व्यवस्था का एक ऐतिहासिक अध्याय समाप्त होने जा रहा है। भारतीय डाक विभाग ने 1 सितंबर 2025 से अपनी प्रतिष्ठित रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को समाप्त करने की घोषणा की है। यह सेवा अब स्पीड पोस्ट के साथ विलय के तहत धीरे-धीरे बंद कर दी जाएगी। यह निर्णय डाक सेवाओं के आधुनिकीकरण और दक्षता को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।

एकीकृत फ्रेमवर्क की ओर

2 जुलाई 2025 को जारी एक आंतरिक परिपत्र में विभाग ने बताया कि यह फैसला मेल सेवाओं को सरल बनाने और ग्राहकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। इसके तहत समान प्रकार की सेवाओं को एकीकृत किया जाएगा ताकि प्रक्रियाएं अधिक प्रभावशाली और सुव्यवस्थित हों।

रजिस्टर्ड पोस्ट, जिसे विशिष्ट पते पर सुरक्षित डिलीवरी के लिए जाना जाता था, की तुलना में स्पीड पोस्ट में प्राथमिकता तेज़ डिलीवरी को दी जाती है, जिसमें पत्र किसी भी व्यक्ति को दिए जाने की अनुमति होती है जो उस पते पर उपलब्ध हो।

विश्वसनीय लेकिन धीमी सेवा का अवसान

हालांकि रजिस्टर्ड पोस्ट की गति धीमी थी, लेकिन इसकी विश्वसनीयता और सटीकता के कारण इसे कानूनी नोटिस, नियुक्ति पत्र, और सरकारी दस्तावेजों की डिलीवरी के लिए प्राथमिकता दी जाती थी।डाक विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 में 244.4 मिलियन रजिस्टर्ड आर्टिकल्स की तुलना में 2019-20 में यह संख्या घटकर 184.6 मिलियन रह गई। कोविड-19 महामारी से पहले ही इसमें गिरावट शुरू हो चुकी थी। इसके पीछे डिजिटल माध्यमों के बढ़ते उपयोग और निजी कूरियर सेवाओं व ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स के विस्तार को बड़ी वजह माना गया है।

क्या खत्म होगी सुरक्षित डिलीवरी?

डाक विभाग ने स्पष्ट किया है कि रजिस्टर्ड पोस्ट की सुरक्षित डिलीवरी सुविधा अब स्पीड पोस्ट के भीतर "रजिस्ट्रेशन" के रूप में उपलब्ध रहेगी। यानी यदि कोई ₹5 का साधारण पत्र भेजना चाहता है, तो ₹17 अतिरिक्त शुल्क देकर वह ₹22 में इसे रजिस्टर्ड स्पीड पोस्ट के रूप में भेज सकेगा।

इसमें डिलीवरी का प्रमाण (Proof of Delivery) और केवल प्राप्तकर्ता को डिलीवरी जैसी सुविधाएं वैल्यू-एडेड फीचर के रूप में मिलती रहेंगी। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह कदम ग्राहकों को तेज़, ट्रैक करने योग्य और अधिक सटीक डिलीवरी अनुभव देने में मदद करेगा।

लागत पर उठे सवाल, ग्रामीणों और छोटे कारोबारियों को चिंता

हालांकि यह बदलाव तकनीकी रूप से उन्नत है, लेकिन लागत को लेकर कुछ वर्गों में चिंता जताई जा रही है।रजिस्टर्ड पोस्ट की फीस ₹25.96 से शुरू होती थी, जबकि स्पीड पोस्ट के लिए प्रारंभिक दर ₹41 है (50 ग्राम तक)।लगभग 20-25 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि से छोटे व्यापारियों, किसानों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नागरिकों पर असर पड़ सकता है, जो सस्ती डाक सेवाओं पर निर्भर हैं।

अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल युग में उपयोगकर्ताओं की बदलती अपेक्षाओं को देखते हुए यह निर्णय अनिवार्य हो गया था।

संचालन में बदलाव और छोटे डाकघरों का पुनर्गठन

स्पीड पोस्ट की शुरुआत 1986 में हुई थी और अब इसके दायरे में रजिस्टर्ड पोस्ट को लाया जा रहा है।इस एकीकरण का उद्देश्य डाक सेवाओं की विविधता को कम करना, मेल प्रोसेसिंग को सरल बनाना, डिलीवरी की गति और ट्रैकिंग सटीकता को बढ़ाना है।

इसके अतिरिक्त, डाक विभाग ने संकेत दिया है कि छोटे डाकघरों को स्वतंत्र डिलीवरी ऑफिस में बदला जाएगा, जिससे ग्राहकों की सुविधा के अनुसार डिलीवरी समय को अधिक लचीला बनाया जा सकेगा।

औपनिवेशिक विरासत का अंत, पर मांगें कायम

रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआत औपनिवेशिक भारत में हुई थी और यह कानूनी, शैक्षणिक और सरकारी पत्राचार का एक मजबूत आधार बनी रही।डिलीवरी और पोस्टिंग का प्रमाण, जो अदालतों में स्वीकार्य होता था, इसे अन्य सेवाओं से अलग बनाता था।

आज भी कई ग्राहक यह चाहते हैं कि स्पीड पोस्ट में रजिस्टर्ड पोस्ट की विशेषताएं जैसे केवल प्राप्तकर्ता को डिलीवरी, ऑनलाइन ट्रैकिंग, और प्रमाण-पत्र आधारित सुविधा को यथावत रखा जाए। साथ ही टैरिफ में संशोधन की भी मांग की जा रही है।

रजिस्टर्ड पोस्ट का समापन न केवल एक सेवा का अंत है, बल्कि यह भारत की डाक व्यवस्था में हो रहे एक बड़े बदलाव का प्रतीक भी है। यह बदलाव जहां प्रौद्योगिकी और गति की ओर अग्रसर है, वहीं इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ग्राहकों की पारंपरिक अपेक्षाएं और आधुनिक सुविधा के बीच कितना संतुलन बनाया जा सकता है।

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